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    रेलवे ने पकड़ी मालगाड़ी के वजन में हेराफेरी की बड़ी खामी, 'रीसेट जीरो' बटन के दुरुपयोग पर लगेगी रोक

    By Amrish Manish ShuklaEdited By: Vivek Shukla
    Updated: Sun, 28 Dec 2025 09:36 AM (IST)

    रेलवे ने मालगाड़ियों के वजन में हेराफेरी रोकने के लिए एक बड़ी तकनीकी खामी पकड़ी है। 'रीसेट जीरो' बटन के दुरुपयोग से माल का वजन आधा या उससे भी कम दिखाय ...और पढ़ें

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। रेलवे ने देशभर के इन-मोशन वेयब्रिज (रेलवे कांटों) में लगे डिजिटल सिस्टम में बड़ी तकनीकी खामी पकड़ी है। मालगाड़ियों के वजन के दौरान एक "रीसेट जीरो" बटन का दुरुपयोग कर मालगाड़ियों का वजन रिकार्ड में आधा या उससे भी कम करने की आशंका व्यक्त की गई है।

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    यह खामी रेलवे बोर्ड के निगरानी निदेशालय ने पकड़ी है और देशभर में इसके सापेक्ष बदलाव कराया जा रहा है। अब वजन की हेराफेरी में नकेल कसी जाएगी। विजिलेंस की जांच में पता चला कि "रीसेट जीरो" बटन का उद्देश्य वजन शुरू होने से पहले रीडिंग शून्य करना है, लेकिन यह ट्रेन के गुजरते समय भी सक्रिय रहता था। यदि मालगाड़ी के कांटे से गुजरने के दौरान बीच में यह बटन दबाया जाए, तो कंप्यूटर पर तब तक तौला गया हजारों टन माल जीरो हो जाता और नया वजन शुरू हो जाता है।

    इस हेराफेरी से पूरी ट्रेन का रिकार्डेड वजन वास्तविक से आधा या उससे कम दिखाया जा सकता है। इस खामी का फायदा उठाकर कोयला, लौह अयस्क जैसे कीमती माल की ढुलाई में रेलवे को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है। करोड़ों टन माल को कागजों पर "गायब" करने का यह तरीका पहले इस्तेमाल हो रहा था या नहीं, इस पर अधिकारी चुप हैं।

    रेलवे बोर्ड ने इस दुरुपयोग को रोकने के लिए साफ्टवेयर अपडेट अनिवार्य कर दिया है। अब वजन प्रक्रिया के दौरान "रीसेट जीरो" बटन पूरी तरह लाक रहेगा। बोर्ड निदेशक सुनील कुमार वर्मा ने जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को तत्काल निर्देश जारी किया है कि मूल उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ मिलकर सिस्टम को हैक-प्रूफ बनाया जाए और इसकी क्रियान्वयन रिपोर्ट मुख्यालय को दी जाए। सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि बोर्ड के निर्देशों के अनुरूप साफ्टवेयर अपेडट किया जाएगा।

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    क्या होता है रेलवे का डिजिटल कांटा

    गुड्स शेड में रेलवे के डिजिटल कांटे में पटरी के बीच एक सेंसर सिस्टम होता है। इसमें पटरी के नीचे बेहद शक्तिशाली "लोड सेल्स" लगे होते हैं। जब मालगाड़ी का पहिया (5-15 किमी की गति से) इस लोहे की पटरी के ऊपर से गुजरता है, तो यह सेंसर पहिए के दबाव को बिजली के संकेतों में बदल देता है और हर एक डिब्बे का वजन रिकार्ड हो जाता है।