Health Tips: बदलते मौसम में अपने ऑर्गन्स का इस तरह रखें ख्याल, किस माह में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? इस कहावत से समझें
Health Tips तिथि सप्ताह महीने में पल-पल मौसम का बदलाव होता है उसी के अनुसार हमारे शरीर के अंदरुनी ऑर्गन्स में भी बदलाव होता है। बेमेल खाने से भी बीमारियां आती हैं जैसे मूली खाने के बाद दूध या दूध से बनी खीर खाने से स्किन प्रॉब्लम हो सकती है l हिंदू महीना मौसम के बदलाव को प्रदर्शित करता है l स्वस्थ रहने के लिए दिन और...

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Health Tips: आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर लोग आधुनिक दिखने के लिए सबसे ज्यादा भारतीय संस्कृति को ही कोसते हैं l भारतीय शिक्षण पद्धति जो दुनिया की सबसे विकसित और श्रेष्ठ पद्धति थी उसे चरणबद्ध तरीके से लुप्त की गई l अधिकतम 25 वर्ष की आयु तक ही बच्चे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते थे और संस्कारी बनते थे l गुरुकुल से संस्कार लेकर समाज में जाते थे यही संस्कार भारतीय संस्कृति कहलाती थी l
एस केआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान प्रयागराज रेकी सेंटर पर जाने-माने एवं प्रख्यात स्पर्श चिकित्सा के ज्ञाता सतीश राय ने कही l
राय ने कहा कि गुरुकुल में ऋषि मुनि व बड़े-बड़े ज्ञानीजनों द्वारा सभी प्रकार के शास्त और विज्ञान पढ़ाई जाती थी जिसमें वेद भी था l गुरुकुल का उद्देश्य ज्ञान का विकास करना था l वेद पुराण आज के विज्ञान से बहुत आगे था तभी तो हमारे ग्रंथो में मनुष्य स्वस्थ कैसे रहे का उल्लेख भी मिलता है l
प्रत्येक माह में एक विशेष खाद्य पदार्थ खाने की मनाही
तिथि सप्ताह महीने में पल-पल मौसम का बदलाव होता है उसी के अनुसार हमारे शरीर के अंदरुनी ऑर्गन्स में भी बदलाव होता है। वे जानते थे कि मौसम के बदलाव का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसी को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक माह में एक विशेष खाद्य पदार्थ खाने की मनाही थी l
बेमेल खाने से भी बीमारियां आती हैं जैसे मूली खाने के बाद दूध या दूध से बनी खीर खाने से स्किन प्रॉब्लम हो सकती है l हिंदू महीना मौसम के बदलाव को प्रदर्शित करता है l स्वस्थ रहने के लिए दिन और मौसम के अनुसार भोजन करने का विधान बनाया l हमारे ग्रन्थों में किस माह में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए का भी उल्लेख मिलता है l
जानें अलग अलग मौसम में किन-किन चीजों का करें सेवन
- चैत ( मार्च-अप्रैल के बीच जाता है) इस माह में गुड़ खाना माना है चना खाना अच्छा होता है l
- वैशाख (अप्रैल-मई के बीच आता है) इस माह में नया तेल लगाना मना है ताली भूली खाना माना है बेल खा सकते हैं l
- ज्येष्ठ (मई-जून के बीच आता है) इस माह में गर्मी ज्यादा पड़ती है अधिक तेल मसालेदार भोजन लहसुन राई का सेवन नहीं करना चाहिए l बेल खाना बहुत फायदेमंद है दिन में सोना लाभप्रद है फलों का सेवन बहुत फायदेमंद हैl
- आषाढ़ (जून-जुलाई के बीच आता है) इस माह में पका बेल मांस मछली बैगन मसूर की दाल लहसुन प्याज खाना मना है इस माह में व्यायाम करना चाहिए l खेलना कूदना शरीर के लिए लाभप्रद है l
- श्रावण ( सावन) जुलाई-अगस्त के बीच आता है l इसमें मूली कटहल दूध और दूध से बनी वस्तुओं को नहीं खाना चाहिए l सांग पत्तेदार सब्जियां को भी खाना नहीं चाहिए l हर्रे हरिद्रा खाना पेट के लिए फायदेमंद है l
- भाद्रपद (भादो) अगस्त - सितंबर के बीच आता है l मूली बैगन हरी सब्जियां गुड़ शहद खाना मना है मट्ठा व दही से बनी वस्तुओं को भी नहीं खाना चाहिए l इस माह तिल का प्रयोग अच्छा होता है l
- अश्विनी (क्वार) सितंबर-अक्टूबर के बीच आता है l करेला खाना माना है गुड़ का सेवन फायदेमंद है l
- कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर के बीच आता है ) दही बैगन जीरा गाजर और बासी अन्न बिल्कुल नहीं खाना चाहिए मूली खाना फायदेमंद है l
- अगहन (नवंबर-दिसंबर के बीच आता है) इस माह भी जीरे का प्रयोग नहीं करना चाहिए तेल व तेल से बनी वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं l
- पौष (पूस) ( दिसंबर-जनवरी के बीच आता है) दूध पीना अच्छा है परंतु बैगन मूली मसूर की दाल उड़द नहीं खानी चाहिए l
- माघ (जनवरी-फरवरी के बीच आता है) मूली धनिया मिश्री खाना मना है l घी और खिचड़ी खाना फायदेमंद है l फाल्गुन (फरवरी-मार्च के बीच आता है) इस माह में चना नहीं खाना चाहिए तथा सुबह जल्दी उठना फायदेमंद होता है l
सतीश राय ने कहा बड़ी बीमारियों से लोग बच्चे रहे इसके लिए स्वस्थ रहने से संबंधित बेसिक जानकारी वेद पुराण ग्रन्थों के अनुसार स्कूलों में दी जानी चाहिए l कृषि एवं ऋषि की संस्कृति को पुनः अपनाने की जरूरत है और ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि बच्चे चरित्रवान और नैतिकवान बनकर निकले तभी स्वस्थ समाज का सपना साकार होगा और देश मजबूत बनेगा l
स्वास्थ्य से संबंधित यह पुरानी कहावत बहुत प्रचलित है, "चौते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल, सावन साग, भादो मही, कुवांर करेला, कार्तिक दही। अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिश्री, फाल्गुन चना। जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।"
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