By Jagran NewsEdited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 05 Mar 2025 12:52 PM (IST)
पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन किया जाता है। बताया कि पूर्णिमा के साथ 13 मार्च की सुबह 10.03 बजे से भ्रदा लग जाएगा जो रात 10.37 बजे तक रहेगा। भद्रा में होलिका दहन वर्जित है। ऐसे में उसके समाप्त होने के बाद रात 10.38 बजे से होलिका दहन किया जा सकेगा। उक्त तारीख पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और दोपहर 12.49 बजे से शूल योग लग जाएगा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। आमतौर पर सूर्यास्त के बाद होलिका दहन करने की परंपरा है। अबकी ऐसा नहीं पाएगा। भद्रा की छाया होने के कारण होलिका दहन करने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। भद्रा रात 10.37 बजे समाप्त होगा, उसके बाद होलिका दहन किया जा सकेगा। होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। यह आपसी प्रेम और सद्भावना का पर्व है। धार्मिक परंपरा के अनुसार दहन से पहले होलिका का विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
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ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष की चतुदर्शी 13 मार्च की सुबह 10.02 बजे तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा लग जाएगी। पूर्णिमा तिथि 14 मार्च की सुबह 11.11 बजे तक रहेगी।
पूर्णिमा तिथि में किया जाता है होलिका दहन
पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन किया जाता है। बताया कि पूर्णिमा के साथ 13 मार्च की सुबह 10.03 बजे से भ्रदा लग जाएगा, जो रात 10.37 बजे तक रहेगा। भद्रा में होलिका दहन वर्जित है। ऐसे में उसके समाप्त होने के बाद रात 10.38 बजे से होलिका दहन किया जा सकेगा। उक्त तारीख पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और दोपहर 12.49 बजे से शूल योग लग जाएगा। जो शत्रु और रोग शमन करने वाला है। इसके अलावा मीन राशि में बुध, शुक्र व राहु संचरण करेंगे। जबकि कुंभ राशि में सूर्य और शनि रहेंगे। जो पुण्यकारी है।
रंग वर्षा के बीच रहेगा चंद्रग्रहण
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक अचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार 14 मार्च को होली पर्व पर रंग खेला जाएगा। उसी दिन चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। सुबह 10.39 बजे चंद्र ग्रहण लग जाएगा, जो दोपहर 2.18 बजे तक रहेगा, लेकिन इसका प्रभाव भारत में नहीं रहेगा। ग्रहण अमेरिका, पश्चिम यूरोप, पश्चिम अफ्रीका, अटलांटिक महासाागर, इटली, फ्रांस, नार्वे, स्वीडन, रूस के पूर्वी भाग में दिखाई देगा।
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ऐसे में उसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में विराजमान रहेंगें। इस दौरान कन्या राशि में पहले से केतु रहेंगे, जिससे दो ग्रहों की युति होगी। इसलिए इस अवधि में कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान यह न करें
- सुई से जुड़ा कोई भी कार्य न करें।
- कुछ भी छीलना या काटना नहीं चाहिए।
- ग र्भवती महिलाएं कोई काम न करें, भाेजन न करें।
- मूर्तियों का स्पर्श न करें।
- ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए।
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