आश्रित की नियुक्ति में परिवार की आर्थिक स्थिति के बजाय तकनीकी आधार देखना अनुचित: हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आश्रित की नियुक्ति के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि परिवार की आर्थिक स्थिति के बजाय तकनीकी आधार दे ...और पढ़ें

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सफाईकर्मी पिता की सेवाकाल में मौत और मजबूर सफाईकर्मी मां के इस्तीफे व परिवार की खराब आर्थिक हालत पर विचार किए बिना मृतक आश्रित कोटे में पुत्र की नियुक्ति से इन्कार करने संबंधी आदेश को मनमाना करार देते हुए रद कर दिया है।
कहा कि तकनीकी कारण के बजाय नियमावली के उद्देश्य के अनुसार परिवार की आर्थिक हालत पर विचार कर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी को याची की आश्रित कोटे में नियुक्ति पर विचार कर तीन सप्ताह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने दीपक कुमार की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आश्रित की नियुक्ति पर विचार करते समय परिवार की आर्थिक स्थिति का आकलन करके ही आदेश देना चाहिए न कि तकनीकी खामी बताकर मनमाने तौर पर नियुक्ति से इन्कार कर दिया जाए। नगर पालिका परिषद फर्रुखाबाद ने आश्रित कोटे में याची की नियुक्ति से यह कहते हुए इन्कार कर दिया गया था कि याची की मां भी सरकारी सेवक थीं, जबकि परेशान कर उसे इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया गया था। परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब हो गई थी।
याची के पिता नगरपालिका परिषद में सफाई कर्मचारी थे। सेवा काल में बीमारी के कारण 2023 में उनकी मृत्यु हो गई। याची पुत्र ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी, किंतु उसे लंबित रखा गया। याची के बीमार पिता की देखभाल के लिए उसकी मां जो ग्राम पंचायत दिलावरपुर में सफाईकर्मी थी, छुट्टी लेकर घर पर रही थी।
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पति की मौत के बाद उसने ज्वाइन किया लेकिन लंबे समय तक काम न करने के कारण परेशान किया जाने लगा। इससे उसे भी इस्तीफे के लिए मजबूर होना पड़ा। याची की मां ने 31 मई 2024 को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद याची ने अर्जी देकर परिवार की खस्ताहालत की जानकारी दी और नियुक्ति मांगी। उसकी अर्जी 26 जुलाई 2025 को खारिज कर दी गई। इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी।

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