Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेंस टॉयलेट की सफाई महिला कर्मियों से कराने पर हाई कोर्ट ने जताई हैरानी, जवाब में सरकार ने कही ये बात

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पुरुष शौचालयों की सफाई के लिए महिला सफाई कर्मियों को लगाने पर आश्चर्य जताया है। कोर्ट ने ग्राम प्रधान को शपथ पत्र दाखिल कर शौचालयों के रखरखाव का ब्योरा देने का आदेश दिया है। साथ ही महिला स्वयं सहायता समूह को अब तक किए गए भुगतान का भी ब्योरा मांगा है।

    By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 02 May 2025 07:49 PM (IST)
    Hero Image
    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

     विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पुरुष शौचालयों की सफाई के लिए महिला सफाई कर्मियों को लगाने पर आश्चर्य जताया है। कोर्ट ने कहा कि महिला कर्मचारियों के द्वारा पुरुष शौचालयों का रखरखाव ग्राम पंचायत की किसी भी योजना से मेल नहीं खाता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके साथ ही संबंधित ग्राम प्रधान को शपथ पत्र दाखिल कर शौचालयों के रखरखाव का पूरा ब्योरा देने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी व जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव (प्रथम) की पीठ ने जमुना प्रसाद की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।

    इस याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट में तलब रायबरेली के महाराजगंज ब्लाक स्थित ग्राम पंचायत ज्योना के प्रधान ने बताया था कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत उनकी ग्राम सभा में बने महिला व पुरुष दोनों शौचालयों का रखरखाव 12 महिला सदस्यों वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाता है।

    इस पर कोर्ट ने उक्त स्वयं सहायता समूह को अब तक किए गए भुगतान को भी स्पष्ट करने को कहा है। याचिका में रायबरेली जनपद के ज्योना गांव में सामुदायिक शौचालयों की साफ-सफाई का मुद्दा उठाया गया है। कोर्ट में तलब ग्राम प्रधान उमेश कुमार ने बताया कि महिलाओं और पुरुषों के लिए तीन-तीन सामुदायिक शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए हैं। प्रधान का यह भी कहना था कि उक्त शौचालयों में बिजली-पानी की पूरी व्यवस्था है।

    यह भी पढ़ें: 'इतनी छोटी राशि के खिलाफ रिट याचिका...', LIC को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, पढ़ें क्या है पूरा मामला