'इतनी छोटी राशि के खिलाफ रिट याचिका...', LIC को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, पढ़ें क्या है पूरा मामला
Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को 74508 रुपये के अवॉर्ड को चुनौती देने पर फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा कि इतनी छोटी राशि के खिलाफ रिट याचिका दाखिल करना आश्चर्यजनक है। क्योंकि याचिका दायर करने की फीस अवॉर्ड राशि से अधिक लगती है। मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। स्थायी लोक अदालत अलीगढ़ की तरफ से पारित 74,508 रुपये के अवॉर्ड को चुनौती दिए जाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) को फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने कहा, ‘इतनी छोटी राशि के खिलाफ एलआइसी द्वारा रिट याचिका दाखिल करना अत्यंत आश्चर्यजनक है।’
कोर्ट ने निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी को यह स्पष्ट करने के लिए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है कि अवॉर्ड की उक्त राशि पालिसीधारक (प्रतिवादी नंबर-2) को क्यों नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘याचिका दायर करने में जो वकील की फीस एवं कानूनी खर्च हुआ, वह स्थायी लोक अदालत द्वारा दिए गए अवॉर्ड राशि से अधिक प्रतीत होता है।’ मामले की अगली सुनवाई अब सात मई को होगी।
मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि स्थायी लोक अदालत ने एलआइसी को पालिसीधारक मेघ श्याम शर्मा को जमा की गई राशि वापस करने के साथ-साथ सात प्रतिशत ब्याज और पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च के रूप में चुकाने का निर्देश दिया था।
पालिसीधारक ने की थी प्रीमियम राशि वापसी की मांग
पालिसीधारक ने जमा की गई प्रीमियम राशि की वापसी की मांग की थी। उसने पांच बीमा पालिसियां खरीदी थीं, जो बाद में शर्तों को पूरा न होने के कारण निष्क्रिय हो गईं, चूंकि निष्क्रिय पालिसियों पर कोई लाभ देय नहीं था इसलिए लोक अदालत ने एलआइसी को जमा राशि वापस करने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट में एलआइसी ने तर्क दिया कि प्रतिवादी ने पालिसी की सभी शर्तों का पालन नहीं किया था, इसलिए वह किसी भी राशि के हकदार नहीं है। इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रतिवादी केवल अपनी जमा राशि की वापसी मांग रहा है और लोक अदालत ने कोई अतिरिक्त या अवैध राहत नहीं दी है।
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