Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाई कोर्ट का आदेश, आपराधिक छवि वाले वकीलों की पूरी जानकारी दें

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 11:52 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सक्रिय वकालत न करने वाले और गिरोह बंद कानून के तहत अभियुक्त वकीलों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चि ...और पढ़ें

    Hero Image

    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐसे वकीलों की जानकारी मांगी है जो सक्रिय वकालत नहीं करते, अन्य कार्य करते हैं और गिरोह बंद कानून के तहत अभियुक्त हैं। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने इटावा निवासी अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका की सुनवाई करते हुए संबंधित जिलों के पुलिस कमिश्नरों, वरीष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया कि वे इस प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करें और सुनिश्चित कराएं कि थानाध्यक्षों की ओर से दी गई जानकारी किसी भी प्रभाव, दबाव या बाहरी बातों से मुक्त हो।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने यूपी बार कौंसिल के अधिवक्ता अशोक कुमार तिवारी का वह पत्र भी रिकार्ड पर लिया, जिसमें कहा गया है कि ऐसे वकीलों का लाइसेंस आफ प्रैक्टिस (एलओपी) निलंबित किया जाएगा जिनकी हिस्ट्रीशीट खुली है अथवा जो गैंग्स्टर के रूप में दर्ज हैं। कौंसिल की तरफ से यह भी बताया गया कि ऐसे 98 वकीलों के खिलाफ उसने स्वतः संज्ञान लिया है और 23 के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है। वर्तमान में कुल 5,14,439 अधिवक्ता पंजीकृत हैं और इनमें 2,49,809 को प्रैक्टिस सर्टिफिकेट (सीओपी) जारी किया गया है।

    यही वकालत करने और आगामी बार कौंसिल चुनाव में मतदान के लिए पात्र हैं। सीओपी सत्यापन के दौरान 105 अधिवक्ताओं के पंजीकरण फर्जी मिले हैं। यह भी स्पष्ट किया गया है कि सीओपी सत्यापन के दौरान कोई पुलिस सत्यापन नहीं कराया गया, क्योंकि इसकी आवश्यकता नहीं थी।

    यह भी पढ़ें- UP TET Exam : परीक्षा तैयारी के लिए समय कम बचा है, ऐसे में क्या तय समय में टीईटी होना मुश्किल

    कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरक हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी देने के लिए भी कहा कि अधिवक्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या बताने के साथ ही पूरा विवरण दिया जाए जिसमें एफआइआर नंबर, कानून की धाराएं, केस दर्ज होने की तारीख व संबंधित पुलिस स्टेशन शामिल हों।

    बताते चलें कि राज्य सरकार ने पूर्व में दिए गए हलफनामे में बताया था कि विभिन्न जिलों में 2539 वकीलों के खिलाफ 3139 आपराधिक मामले दर्ज हैं। कोर्ट ने रजिस्ट्रार आफ फर्म्स, सोसाइटीज एंड चिट्स लखनऊ को आदेश दिया है कि वह दो सप्ताह में वकीलों द्वारा पंजीकृत सोसाइटीज की जानकारी दें।

    स्पष्ट किया है कि ‘वकीलों द्वारा पंजीकृत सोसाइटीज’ का अर्थ है जिला अदालतों या तहसील अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के समूह द्वारा पेशेवर मामलों, कल्याण और अन्य सहायक उद्देश्यों के लिए पंजीकृत सोसाइटीज न कि व्यक्तिगत लाभ या अन्य उद्देश्यों के लिए।