किस कानून के तहत नौकरशाहों के लिए हो रहा 'माननीय' शब्द का उपयोग, HC ने मांगा हलफनामा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूछा है कि किस कानून के तहत नौकरशाहों के लिए 'माननीय' शब्द का उपयोग किया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में हलफनामा मांगा है। ...और पढ़ें

इलाहाबाद हाई कोर्ट। जागरण
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नौकरशाहों के लिए ‘माननीय’ शब्द के उपयोग पर सवाल उठाते हुए राजस्व विभाग के प्रधान सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि किस कानून के तहत नौकरशाहों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल सही है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने बरेली निवासी योगेश शर्मा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। प्रकरण में दूसरे दिन 19 दिसंबर को भी सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा, 'यह संवैधानिक पदाधिकारियों और अदालतों का दर्जा कम करने का सूक्ष्म, लेकिन निश्चित तरीका है। हाल ही में ऐसा चलन शुरू हुआ है जहां राज्य के विभिन्न अधिकारियों के सबसे निचले से लेकर उच्चतम स्तर तक के पदों के नाम के आगे पत्राचार और आदेशों में माननीय लगाया जा रहा है।'
"यह शब्द केवल मंत्रियों और अन्य संप्रभु पदाधिकारियों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।", कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि- यह (माननीय) नौकरशाहों या राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए सही नहीं है। कोर्ट का कहना था, ''यह अदालत अक्सर देखती है कि आधिकारिक पत्राचार में राज्य के विभिन्न अधिकारियों के पदों के नाम के साथ नियमित रूप से ‘माननीय’ शब्द जोड़ा जाता है।''
इस प्रकरण में इटावा के कलेक्टर ने कानपुर के संभागीय आयुक्त को माननीय आयुक्त के रूप में संबोधित किया था। प्रधान सचिव को कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि वह यह बताएं कि क्या राज्य के ऐसे अधिकारियों के बारे में कोई प्रोटोकाल है जो इस शब्द के हकदार हैं या जिनके पदनाम या नाम के साथ माननीय शब्द जोड़ा जाता है। याची के खिलाफ बरेली के बिथरी चैनपुर थाने में बीएनएस के तहत केस दर्ज है।

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