'कौन सी एजेंसी कराएगी फरार मौलाना की पेशी', हाई कोर्ट ने UP पुलिस की नाकामी के बाद सेंट्रल एजेंसियों को जिम्मा सौंपने के दिए निर्देश
आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर जमानत पाने के बाद गायब हुए अरबी शिक्षक मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी की तलाश के लिए इलाहाबाद हा ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, प्रयागराज। आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर जमानत मिलने पर गायब हुए अरबी शिक्षक मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी की तलाश के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय के सचिव के मार्फत भारत सरकार को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर तथा न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को यह निर्देश दिया।
कहा कि राज्य पुलिस कादरी की तलाश में असफल रही है। इसलिए केंद्रीय एजेंसियों को इस कार्य में शामिल किया जा सकता है। भारत सरकार के डिप्टी सालिसिटर जनरल एसके पाल से कोर्ट ने कहा कि वह सचिव गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त कर बताएं किस एजेंसी को कादरी को अदालत में पेश करने की जिम्मेदारी सौंपी जाय।
शुक्रवार 19 दिसंबर को प्रकरण में फिर सुनवाई होगी। खंडपीठ ने पूर्व में पुलिस को आदेश दिया था कि हर संभव प्रयास कर कादरी को हर हाल में अदालत में पेश किया जाय। कोर्ट ने कहा था अभियुक्त की मृत्यु होने अथवा देश छोड़कर भाग जाने के अलावा हर हाल में आदेश का पालन होना चाहिए। मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी ही याची है। यह याचिका 1984 में दायर की गई थी।
कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा
प्रयागराज के धूमनगंज थाना में दर्ज हत्या व डकैती के मुकदमे में ट्रायल कोर्ट ने उसे इसी साल आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौलाना ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की और जमानत के बाद से लापता हो गया।
हाई कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार याची प्रयागराज छोड़कर जा चुका है। दोनों जमानतदारों की भी मृत्यु हो चुकी है। मौलाना का स्थायी पता मुजफ्फरपुर बिहार का है। हंडिया में जहां वह मुस्लिम बच्चों को अरबी पढ़ाता था, वहां उसका कोई स्थायी पता नहीं था।

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