14 लाख रुपए लेकर जालसाजों ने लगवा दी फर्जी नौकरी, नियुक्ति पत्र लेकर ज्वाइन करने पहुंचा युवक तो उड़ गए होश
प्रयागराज में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां जालसाजों ने एक युवक से 14 लाख रुपये लेकर उसे फर्जी नौकरी का नियुक्ति पत्र दे दिया। जब युवक ज्वाइन ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सेवानिवृत्त हेड कांस्टेबल के बेटे की सहायक अध्यापक पद पर नौकरी लगवाने के नाम पर 14 लाख रुपये की ठगी की गई। यही नहीं, सोनभद्र के एक सरकारी विद्यालय में नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद के दो पत्र भी दिए गए।
जालसाजी का पता चलने पर सिविल लाइंस पुलिस ने दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। फाफामऊ चंदापुर निवासी देवकी नंदन त्रिपाठी सेवानिवृत्त हेड कांस्टेबल हैं। सिविल लाइंस पुलिस को तहरीर देते हुए उन्होंने बताया कि सीओ नगर मीरजापुर की पेशी में तैनाती के दौरान वासलीगंज मीरजापुर निवासी मो. जमाल अख्तर व एडीए कॉलोनी नैनी के कौशलेश शर्मा से मुलाकात हुई थी।
दोनों अक्सर पुलिस कार्यालय आते थे। बातचीत के दौरान एक दिन दोनों ने कहा कि अगर कोई युवक टीजीटी का हो तो उसे परीक्षा में पास कराकर नियुक्ति पत्र दिला देंगे। शिक्षा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी से उनकी पहचान है।
झांसे में आकर देवकी नंदन ने कौशलेश से मोबाइल फोन पर बात की। बोले कि बेटा रोहित त्रिपाठी टीजीटी परीक्षा में शामिल होना चाहता है। इसके बाद कौशलेश ने उन्हें सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाकघर के पास बुलाया। यहां उसके साथ मो. जमाल भी आया।
दोनों ने कहा कि रोहित को परीक्षा में पास कराकर नियुक्ति पत्र दिला देंगे, लेकिन 14 लाख रुपये देने होंगे। आरोप है कि एक सप्ताह बाद कौशलेश ने फोन कर उन्हें अपने मकान पर बुलाया। वहां जमाल और उसकी पत्नी मौजूद थे।
जमाल बोला कि रोहित की नियुक्ति की बात हो चुकी है और अधिकारी को रुपये देने हैं। उनके कहने पर आरटीजीएस, नकद और यूपीआई के माध्यम से 14 लाख रुपये दे दिए। कुछ दिन बाद कौशलेश ने फोन कर बोला कि रोहित टीजीटी परीक्षा में पास हो गया है।
इसके कुछ दिन बाद मीरजापुर में बेटे के घर के पते पर डाक के माध्यम से प्रयागराज माध्यमिक शिक्षा परिषद का एक नियुक्ति पत्र मिला। इस पर उप्र अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) के हस्ताक्षर भी बनाए गए थे।
इस पत्र में सोनभद्र चहिरया स्थित एक सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति की बात लिखी थी। नियुक्ति पत्र लेकर रोहित वहां पहुंचा तो पता चला कि कोई विद्यालय ही नहीं है। कौशलेश से शिकायत की गई तो बोला कि गलत टाइप हो गया है।
यह भी पढ़ें- 950 करोड़ की लागत से बनेगा सलोरी-हेता पट्टी पुल, प्रयागराज आने वाले यात्रियों का सफर होगा आसान
कुछ दिन बाद दूसरा पत्र आया तो इसमें गांव का नाम चकरिया था। हालांकि, सोनभद्र में इस नाम का भी कोई स्कूल नहीं था। इसके बाद नियुक्ति पत्र की जांच कराई गई तो वह फर्जी निकला। सिविल लाइंस इंस्पेक्टर रामाश्रय यादव का कहना है कि दो के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच करने के साथ ही आरोपितों की तलाश की जा रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।