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    एक ऐसी संस्था, प्रदेश में शिक्षा के माध्यम से बालिकाओं को सशक्त बनाने का कर रही प्रयास

    By AMLENDU TRIPATHIEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sat, 11 Oct 2025 04:45 PM (IST)

    एजुकेट गर्ल्स संस्था प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने का कार्य कर रही है। संस्था स्कूल ड्रापआउट कम कराने के लिए अभिभावकों से संवाद कर उन्हें नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है। संस्था ज्ञान का पिटारा कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षा में सुधार ला रही है, जिससे बालिकाओं के सीखने के स्तर में वृद्धि हो रही है।

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    एजुकेट गर्ल्स संस्था छात्राओं को स्कूलों से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। बालिकाओं का स्कूल ड्रापआउट कम कराने का प्रयास है। अब तक देखा गया है कि आर्थिक तंगी, पारिवारिक जिम्मेदारियां, स्कूल की दूरी और कभी कभी सामाजिक रूढ़िवादिता की वजह से छात्राओं का स्कूल छूट जाता है। अब संस्था एजुकेट गर्ल्स ने इस दिशा में प्रयास कर छात्राओं को स्कूलों से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।

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    क्या कहते हैं संस्था के स्टेट आपरेशन हेड

    संस्था के स्टेट आपरेशन हेड नितिन कुमार झा ने बताया कि संस्था के सदस्य स्कूल क्षेत्र में भ्रमण कर अभिभावकों से संवाद कर छात्राओं को नियमित स्कूल भेजने के लिए आग्रह करते हैं। उनकी परेशानियों को समझते हुए समाधान तक पहुंचने का भी प्रयास होता है। हालांकि इस दिशा में प्रदेश व केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित हो रही हैं जिनका लाभ आम जन को मिल रहा है।

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    योजनाओं से बालिका शिक्षा को जोड़ने का प्रयास

    मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, प्रधानमंत्री बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना और छात्रवृत्ति कार्यक्रम प्रभावी हैं। ये बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इन योजनाओं के तहत परिवारों को आर्थिक सहायता, पोषण, स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। संस्था एजुकेट गर्ल्स जागरूकता अभियान चलाकर समाज में बालिका शिक्षा के प्रति सोच बदलने की कोशिश कर रही है।

    बालिका शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका

    यह संस्था 2019 से उत्तर प्रदेश के 23 जिलें (प्रयागराज, भदोही, कौशाम्बी, चित्रकुट, बांदा, मिर्जापुर, सोनभद्र, फतेहपुर, उन्नाव, रायबरेली, बहारइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहाँपुर, बाराबंकी, महाराजगंज, कुशीनगर, बदायूं, हरदोई, फर्रुखाबाद) में बालिकाओं को स्कूल से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

    नामांकन अभियान के माध्यम से बालिकाओं को स्कूल भेजा

    संस्था गांव स्तर पर मुहल्ला बैठक तथा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बालिका शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है। नामांकन अभियान के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं का स्कूल में नामांकन कराने में मदद तथा नामांकित लड़कियों का ठहराव सुनिश्चित करने में सहयोग किया जा रहा है। बालिकाओं के सीखने की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयासों में सहयोग भी बन रही है।

    बालिका स्वयंसेवकों का भी योगदान 

    संस्था ने उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के साथ मिलकर छह लाख से अधिक बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने तथा बालिकाओं के सपने को उड़ान देने का प्रयास किया है। इस अभियान में संस्था के 12000 से अधिक टीम बालिका स्वयंसेवकों का भी योगदान है।

    ज्ञान का पिटारा कार्यक्रम कार्यक्रम प्रभावी

    नितिन कुमार झा बताते हैं कि स्कूलों में बालिकाओं का ठहराव बना रहे इसके लिए संस्था की ओर से ज्ञान का पिटारा कार्यक्रम चल रहा है। इसके सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। बालिकाओं को खेल-खेल के माध्यम से पढ़ाने का प्रयास किया जाता है। संस्था ने अब तक चार लाख से अधिक बालिकाओं के सीखने के स्तर में वृद्धि कर उनके ज्ञान के स्तर को बढ़ाने में मदद की है। उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर पहल हो रही है।

    बालिकाओं के शिक्षित होने से देश करेगा प्रगति

    सरकार की योजनाएं और एजुकेट गर्ल्स जैसी संस्थाओं के प्रयास मिलकर बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कर रहे हैं। इसके बावजूद अभी और काम करने की जरूरत है। समाज को यह समझना होगा कि बालिका शिक्षा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि देश के विकास और समृद्धि की नींव है। हर बच्ची को स्कूल जाने, सीखने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिलना चाहिए। जब लड़कियां शिक्षित होंगी, तभी भारत वास्तव में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।

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