'डीएम मेरठ में करुणा की कमी', इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी न हो
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के जिलाधिकारी की आलोचना करते हुए कहा कि एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी उनकी अक्षमता और करुणा की कमी दर्शाता है। ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में लापरवाही बरतने पर जिलाधिकारी मेरठ की आलोचना की है। कहा, यह उनकी अक्षमता है और उनमें करुणा की कमी दर्शाता है। कोर्ट ने भविष्य में एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजे के भुगतान में देरी न हो, इसके लिए प्रमुख सचिव, गृह को सभी जिलाधिकारियों को इस आशय का सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया।
आदेश की प्रति गृह मंत्रालय भारत सरकार महिला सुरक्षा विभाग व जिलाधिकारी मेरठ को भेजने के लिए निबंधक (अनुपालन) को आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने रनजीता की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।
एक सप्ताह का दिया समय
कोर्ट ने कहा, ‘अधिकारियों का प्राथमिक दायित्व है कि वे लोगों को सेवा प्रदान करें। जिलाधिकारी ने भारत सरकार के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पीड़िता को एक लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान नहीं किया।
कोर्ट ने जिलाधिकारी को भारत सरकार के तीन सितंबर 2024 के पत्र का एक सप्ताह में पालन करने के लिए कहा है। निर्देशित किया कि भारत सरकार युद्ध स्तर पर कार्यवाही कर छह सप्ताह में पीड़िता को मुआवजे का भुगतान करे।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड से मिलता है मुआवजा
बता दें कि एसिड अटैक पीड़िता को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड से मुआवजा दिया जाता है। 2013 में पीड़िता (याची) पर एसिड अटैक हुआ। सरकार ने कुछ मुआवजे का भुगतान भी किया। याची को सर्जरी व चिकित्सा सहायता के लिए एक लाख रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा विभाग के अनुसचिव ने जिलाधिकारी मेरठ को पत्र लिखा है, लेकिन जिलाधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जिलाधिकारी से जानकारी मांगी गई तो कोई जवाब नहीं आया। कोर्ट ने इसे अलार्मिग स्थिति करार दिया और जिलाधिकारी की आलोचना की।

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