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    Danda Baba: हरियाणा से 800 KM पैदल चलकर महाकुंभ पहुंचे डंडा बाबा, बोले-असहनीय दर्द होता था...

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 08:38 PM (IST)

    महाकुंभ में कई श्रद्धालुओं की जीवन यात्रा बदल गई है। हरियाणा के विक्रम सिंह जिनकी त्वचा की बीमारी गंगा स्नान से ठीक हुई ने संन्यास लेने का निर्णय लिया और अब डंडा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। वहीं बवंडर बाबा इंदौर से आए धार्मिक चित्रों के सम्मान के लिए जनजागरण अभियान चला रहे हैं ताकि लोग देवी-देवताओं के चित्रों का अनादर न करें।

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    डंडा बाबा , विश्वास गिरी । जागरण

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। त्वचा की जिस बीमारी को महंगी दवाईयां सही नहीं कर पाई, उसको हरिद्वार में पतित पावनी गंगा स्नान ने ही दूर कर दिया। जीवन से मोहभंग की स्थिति तक पहुंच गए हरियाणा के विक्रम सिंह ने जीवन की डोर पकड़ ली पर इस घटना ने उनको गृहस्थ से संन्यास की ओर खींच लिया।

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    जिस अटूट विश्वास ने उनको नया जीवन दिया वही नाम गुरु मधुगिरी महाराज ने दे दिया। साथ में सौंपा एक एक 50 वर्ष पुरा धर्म दंड। इसके साथ ही विक्रम सिंह से बन गए विश्वास गिरी यानी डंडा बाबा। हरियाणा से 800 किलोमीटर का रास्ता पैदल पार करते हुए डंडा बाबा महाकुंभ आए, जहां गुरु उनको अखाड़े में दीक्षा देंगे।

    हरियाणा के रहने वाले डंडा बाबा पहले एक ड्राइवर थे। वह बताते हैं उनको एक बीमारी हुई जिसमें पूरे शरीर में चकत्ते पड़ गए। असहनीय दर्द होता था और जीवन से मन उब गया था। इस दौरान किसी के कहने पर एक हरिद्वार गए। जहां साधु-संतों ने उनको कई दिन गंगा स्नान को कहा।

    डंडा बाबा, विश्वास गिरी। जागरण

    गंगा स्नान के बाद हुआ चमत्कार

    ऐसा किया तो बीमारी जादू की तरह सही हो गई। इसके बाद से मन परिवर्तन हो गया। परिवार को संभालकर संन्यास का निर्णय लिया। सोचा जब मां गंगा ने जीवन दिया तो क्यों न यह जीवन उनकी आराधना में ही समर्पित कर दूं। अब मां गंगा को प्रदूषण से बचाना और उनकी रक्षा करना मेरा धर्म बन गया। इसी उद्देश्य से पैदल ही हरियाणा से महाकुंभ आया।

    धार्मिक चित्रों के सम्मान के लिए जनजागरण करते हैं बवंडर बाबा

    इंदौर से आए बवंडर बाबा अपने नाम की तरह ही तेजस्वी अभियान चला रहे हैं। वे देवी-देवताओं के चित्रों के अनादर के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में जुटे हैं। उनका उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक चित्रों को सड़कों, नालियों या कचरे में न फेंके।

    इस जनजागरण अभियान के तहत वे अब तक 1,000 से अधिक गांवों और 500 शहरों में संदेश फैला चुके हैं। अब प्रयागराज में उनका अभियान जारी है। बवंडर बाबा का मानना है कि उनका नाम लोगों में जिज्ञासा उत्पन्न करता है, जिससे वे उनकी बातों को गंभीरता से सुनते हैं और जागरूकता फैलाने में मदद मिलती है।

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