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    न्यायिक अधिकारी पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले पर अवमानना का आरोप तय, HC ने सुनाया यह फैसला

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 07:19 AM (IST)

    हाई कोर्ट के प्रशासनिक जज ने मैसेज की जांच के बाद आरोपों में सत्यता पाया और कहा कि यह कृत्य न्यायिक व्यवस्था को धमकाने अदालत को बदनाम करने और आतंकित करने के लिए अवमानना के समान है। इसके बाद मामला आपराधिक अवमानना की सूची बनाने वाली खंडपीठ के समक्ष रखा गया।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

     विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिला न्यायालय के एक न्यायिक अधिकारी पर वाट्सएप ग्रुप पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपित कृष्ण कुमार पांडेय के विरुद्ध अवमानना का आरोप तय कर दिया है। जिला न्यायालय के अधिवक्ताओं के एक ग्रुप पर की गई टिप्पणी काफी प्रसारित भी हुई।

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    मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि कृष्ण कुमार पर न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2(सी) के तहत न्यायालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और उसके अधिकार को कम करने का मुकदमा चलाया जाए।

    मामले के अनुसार कृष्ण कुमार ने बस्ती जिले के वकीलों के वाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज पोस्ट किया कि एक एडीजे के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिसमें उन पर रिश्वत लेने और लंबित दीवानी एवं फौजदारी मुकदमों में फर्जी और जाली आदेश पत्र लिखने का आरोप लगाया गया।

    कहा गया कि ये आरोप अदालत को बदनाम करने और उसके अधिकार को कमजोर करने के लिए जानबूझकर लगाए गए। हाई कोर्ट के प्रशासनिक जज ने मैसेज की जांच के बाद आरोपों में सत्यता पाया और कहा कि यह कृत्य न्यायिक व्यवस्था को धमकाने, अदालत को बदनाम करने और आतंकित करने के लिए अवमानना के समान है।

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    इसके बाद मामला आपराधिक अवमानना की सूची बनाने वाली खंडपीठ के समक्ष रखा गया। आरोपित को नोटिस देकर बचाव के लिए कई अवसर दिए गए लेकिन उसने यह कहते हुए प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि वह अपना बचाव करने में सक्षम है।

    मामले की कार्यवाही के दौरान अदालत ने पाया कि कृष्ण कुमार वकील नहीं हैं, फिर भी वह बस्ती के वकीलों के वाट्सएप ग्रुप के मेंबर है। जब जिले के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किए गए तो न्यायालय को आश्वासन दिया गया कि पेशेवर ग्रुप्स के इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

    कोर्ट ने कृष्ण कुमार पांडेय पर अवमानना का आरोप तय करते हुए उसे अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है।