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    MNNIT इलाहाबाद में RL प्रणाली के रोचक पहलू व लाभ बताए, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे विशेषज्ञों ने बताई इसकी खासियत

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 02:16 PM (IST)

    मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है।एचसीएलटेक के अनुराग पांडेय ने रीइन्फोर्समेंट लर्निंग (आरएल) की गूढ़ता बताई। बताया कि कैसे आरएल प्रणाली उपयोगकर्ता की गतिविधि से सीखती है और तत्काल सुझाव देती है जो वास्तविक अनुकूलनशीलता है। यह तकनीक उपयोगकर्ता की बदलती जरूरतों को समझकर व्यक्तिगत समाधान देती है।

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    MNNIT इलाहाबाद के सम्मेलन में एचसीएल के कैपेबिलिटी हेड अनुराग पांडेय, प्रो. मयंक पांडेय व मनीष बाजपेयी (बाएं से)। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) इलाहाबाद में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को तकनीक और अनुसंधान की दुनिया में एक अत्यंत रोचक सत्र हुआ।

    एचसीएलटेक नोएडा के कंप्यूटर विजन विभाग के कैपेबिलिटी हेड अनुराग पांडेय ने प्रतिभागियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नवीनतम आयाम हाइपर पर्सनलाइजेशन में रिइनफोर्समेंट लर्निंग (आरएल) के बारे में विस्तार से अवगत कराया।

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    उन्होंने हाइपर पर्सनलाइजेशन की अवधारणा को सरल भाषा में समझाते हुए कहा कि जैसे ही कोई उपयोगकर्ता किसी मंच पर गतिविधि करता है, प्रणाली उसी से सीखती है और अगले ही क्षण उसके अनुरूप सुझाव प्रस्तुत कर देती है। यही वास्तविक अनुकूलनशीलता आने वाले समय की तकनीक की पहचान होगी।

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    उन्होंने कहा कि आने वाले समय की तकनीक अब केवल अनुमान पर आधारित नहीं होगी। पारंपरिक प्रणालियां जहां स्थिर नियमों और पुराने आंकड़ों के आधार पर सुझाव देती हैं, वहीं आरएल प्रणाली उपयोगकर्ता की प्रत्येक क्लिक और चयन से तुरंत सीखकर अपने आप को निरंतर अद्यतन करती रहती है।

    बताया कि इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वास्तविक समय में उपयोगकर्ता की बदलती आवश्यकताओं को समझकर उसी अनुरूप व्यक्तिगत समाधान प्रस्तुत करती है। इस प्रकार यह प्रणाली उपयोगकर्ता की सोच और तकनीकी प्रतिक्रिया के बीच की खाई को समाप्त कर देती है।

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    स्वास्थ्य सेवाओं और ई–वाणिज्य (ई-कामर्स) का उदाहरण देते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में लोगों की आवश्यकताएं हर क्षण बदलती रहती हैं। ऐसे परिदृश्य में आरएल-आधारित प्रणालियां केवल स्थिर दिशा-निर्देशों तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि सतत् सीखने की प्रक्रिया द्वारा उपयोगकर्ता को वही देती हैं जिसकी उसे उस समय सबसे अधिक आवश्यकता है।परिणामस्वरूप अनुभव अधिक आकर्षक, उपयोगी और प्रभावी बन जाता है। इसमें आयोजक प्रो. मयंक पाण्डेय और निवेटी सिस्टम से सीओओ मनीष बाजपेयी ने भी व्याख्यान दिया।