Maha Kumbh में 101 बेटियों के हाथ पीले कराएंगे 'भिखारी बाबा', अब तक 5100 लड़कियों की करा चुके हैं शादी
संगम की रेती पर तमाम संतों में एक ऐसे भी हैं जो लोगों से भिच्छा मांगकर वनवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ ही उनके बेटे और बेटियों की शादी कराते हैं। संगम तट पर पर भी यह पुण्य कार्य किया जाता है। वे कहते हैं कि आर्थिक सहयोग नहीं लेता। वह अब तक 5100 बेटियों की शादी करा चुके हैं।

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। धर्म अध्यात्म की नगरी प्रयागराज महाकुंभ के दौरान अनगिनत प्रसंगों का साक्षी बनती है। इस बार भी बनेगी। दान-पुण्य और रिश्तों के बनने बिगड़ने की भी। सोनभद्र के भिच्छुक भिखारी बाबा यहां 101 बेटियों का हाथ पीले करने का संकल्प लेकर आ चुके हैं। उनका यह भी दावा है कि पिछले 30 वर्ष से उन्होंने अन्न ग्रहण नहीं किया है।
संगम तट पर कोई द्रव्य दान कर पुण्य कमाता है तो कोई वस्त्र दान और अन्न दान। सम्राट हर्षवर्धन ने यहां सर्वस्व दान कर दिया था और उनसे ही अन्य लोग भी प्रेरणा लेते हैं। यथासंभव दान कर इहलोक-परलोक तारने का जतन कल्पवासियों और श्रद्धालुओं के साथ-साथ संगम संतों का भी अभीष्ट रहता है।
संतों में एक ऐसे भी हैं, जो लोगों से भिच्छा मांगकर वनवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ ही उनके बेटे और बेटियों की शादी कराते हैं। संगम तट पर पर भी यह पुण्य कार्य किया जाता है। कहते हैं कि आर्थिक सहयोग नहीं लेता। वस्तु के रूप में ही सहयोग लेता हूं।
वह अब तक 5100 बेटियों की शादी करा चुके हैं, इनमें 700 की शादी कुंभ और महाकुंभ में कराई है। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों के परिवार लाभान्वित हुए हैं। महाकुंभ 2025 में भिखारी बाबा 101 बेटियों के विवाह का संकल्प लेकर कुंभनगरी में हैं।
सेक्टर छह में उनका शिविर लगा है। यहां नौ फरवरी को सामूहिक विवाह होगा। विवाह के लिए 70 बेटियों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। भिच्छुक भिखारी बाबा नाम से चर्चित संत जंगलीदास दीनबंधू रामाशंकर गिरि वर्ष 1997 से बेटियों का विवाह करा रहे हैं। जिनके माता पिता नहीं हैं, उन बेटियों का कन्यादान स्वयं करते हैं। अब तक 500 से अधिक बेटियों का कन्यादान कर चुके हैं।
इसे भी पढ़ें- Maha Kumbh 2025 के इन गजब बाबाओं को जरूर देखिए; साढ़े आठ सालों से हाथ ऊपर... कोई 9 सालों से बैठा ही नहीं!
महाकुंभ में अजब-गजब बाबा
महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी का महासंगम अजब-गजब बाबाओं का भी संगम बन गया है। हार्ले डेविडसन बाबा जैसे साधु आधुनिकता और साधना के बीच संतुलन स्थापित कर रहे हैं, जबकि चाय वाले बाबा और पर्यावरण बाबा जैसे संत मानवता और प्रकृति की सेवा का संदेश दे रहे हैं।
देश के कोने-कोने से आए कड़े, खड़े और फलाहारी बाबा जैसे हठयोगी सोचने पर विवश करते हैं कि क्या इतनी प्रबल इच्छा शक्ति संभव है। अजब-गजब बाबा श्रद्धालुओं के बीच न केवल आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि अचंभित भी करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।