Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तर जीवित माता या पिता सरकारी नौकरी में तो मृतक आश्रित में नियुक्ति नहीं मिलेगी, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 05:41 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंचायत राज विभाग की विशेष अपील स्वीकार करते हुए एकलपीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मां के सरकारी सेवा में होने के बावजूद मृतक आश्रित के रूप में नौकरी पाए कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया गया था। कोर्ट ने माना कि कर्मचारी ने तथ्य छिपाकर नौकरी हासिल की।

    Hero Image
    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तथ्यों को छुपाने के कारण आश्रित की नौकरी संबंधी आदेश पर रोक लगाई है।

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। मां के सरकारी सेवा में रहने के बावजूद तथ्य छिपाकर पिता की जगह मृतक आश्रित के रूप में नौकरी पाए सरकारी कर्मचारी के पक्ष में एकलपीठ द्वारा दिए फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एकल जज के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग की तरफ से दायर विशेष अपील पर पारित किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि जिला पंचायत राज अधिकारी बस्ती ने 28 अगस्त 2021 को याची राहुल की मृतक आश्रित कोटे में हुई नियुक्ति निरस्त कर दी थी। आधार यह लिया गया था कि राहुल ने पिता की मृत्यु के बाद उनके आश्रित के रूप में नौकरी पाने के लिए इस तथ्य को नहीं बताया था कि उसकी मां बतौर सहायक अध्यापक सरकारी नौकरी में हैं।

    पिता की मृत्यु के समय मां प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापिका थी। एकलपीठ के समक्ष याची का कहना था कि जो नौकरी का फार्म उसने मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए भरा था, उसमें ऐसा कोई कालम नहीं था जिसमें मां की नौकरी का उल्लेख करना जरूरी था। उसने कोई तथ्य छिपाया नहीं है।

    याची की तरफ से यह भी कहा गया कि उसे नौकरी करते 10 साल से ऊपर हो गया था, ऐसी स्थिति में उसे सेवा से हटाना गलत है। सरकार का कहना था कि मृतक आश्रित कोटे में नौकरी की यह पहली शर्त है कि मृतक कर्मचारी यदि पति है तो पत्नी और यदि पत्नी है तो पति, सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए।

    कहा गया कि यह प्रविधान मृतक आश्रित सेवा नियमावली के नियम 6 में दिया गया है। मां सरकारी नौकरी में शिक्षक के रूप में कार्यरत है। यदि पहले से याची ने बता दिया होता तो उसकी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी नहीं मिल सकती थी। यही कारण है कि याची ने इसे जानबूझकर छिपा लिया और पिता की जगह सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली।