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    प्रयागराज के भाजपा विधायक हर्षवर्धन के खिलाफ चुनाव याचिका पर विवादित बिंदु तय, इलाहाबाद HC में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 07:59 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज शहर उत्तरी के भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर विवादित बिंदु तय किए हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से दस्तावेजी साक्ष्य सहित 6 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी। कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह ने चुनाव याचिका दायर की है।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के विधायक हर्षवर्द्धन के खिलाफ चुनाव याचिका मामले में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद (प्रयागराज) शहर उत्तरी के विधायक हर्ष वर्धन वाजपेयी के चुनाव की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर विवादित बिंदु तय कर दिए हैं। इस संबंध में पक्षों से दस्तावेजी साक्ष्य सहित छह अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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    प्रकरण में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेन्द्र ने पक्ष रखा।

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    कोर्ट से तय विवादित बिंदु

    1.जब निर्वाचित उम्मीदवार ने वर्ष 2003 में बीई और बीटेक पाठ्यक्रम पूरा होने के संबंध में विरोधाभासी जानकारी प्रदान की तो क्या निर्वाचित उम्मीदवार का चुनाव रद घोषित किया जाएगा?

    2. क्या सोशल मीडिया में दी गई जानकारी गलत होने पर चुनाव प्रभावित होगा?

    3.प्रतिवादी की ओर से अमित शर्मा बिना किसी प्राधिकार चुनाव एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे तो क्या इससे चुनाव प्रभावित होगा, खासकर जब उनके प्राधिकार को दर्शाने वाला कॉलम खाली छोड़ दिया गया हो?

    4.अमित शर्मा के लिए चुनाव एजेंट बनना अनुमन्य था जब वह राज्य सरकार की ओर से ब्रीफ होल्डर के रूप में काम कर रहे थे? क्या इससे चुनाव कानूनन गलत हो जाएगा?

    5.क्या जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी वकील अतुल कुमार श्रीवास्तव ने मतगणना एजेंट के रूप में काम किया तो क्या इस तथ्य के कारण चुनाव रद हो जाएगा?

    6.क्या नामांकन पत्र के साथ भरे गए फॉर्म 26 के कॉलम (3) (i), (ii) और (iii) में यह बताया गया था कि विपक्षी दल का कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है? इससे क्या इससे चुनाव रद हो जाएगा क्योंकि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है?

    7.क्या नामांकन पत्र में दी गई जानकारी गलत पाए जाने पर आम जनता के ‘जानने के अधिकार’ पर असर पड़ेगा?

    8. क्या गलत जानकारी न दिए जाने के कारण चुनाव परिणाम पर कोई असर पड़ेगा?