'शोषण के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता शादी का वादा', HC ने खारिज की दुष्कर्म के आरोपी की अर्जी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शादी का झूठा वायदा कर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपित के खिलाफ आपराधिक केस रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाह का वायदा स्पष्ट रूप से झूठा था। ये अभियुक्त द्वारा अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाने और उसके कार्यों से शिकायतकर्ता के गर्भधारण और उसके बाद गर्भपात होने से प्रदर्शित होता है।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शादी का झूठा वायदा कर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपित के खिलाफ आपराधिक केस रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी के वायदे को शोषण के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने दिया है।
गौतमबुद्धनगर की एक महिला ने आरोप लगाया कि कुछ साल पहले फेसबुक और वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर याची ने दोस्ती की। बाद में उसे शादी का प्रस्ताव दिया गया, जिससे दोनों में शारीरिक संबंध बने। दो बार गर्भपात के लिए उसे मजबूर किया गया।
आरोपी ने कहा- सहमति से बने संबंध को दुष्कर्म नहीं मना जा सकता
शादी से इनकार करने व दूसरी महिलाओं के संपर्क बनाने पर महिला ने थाना-फेज तीन, गौतमबुद्धनगर में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई। आरोपित रवि कुमार भारती उर्फ बिट्टू ने आपराधिक केस रद्द करने की याचिका दायर की। उसके जरिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट को रद्द करने और आगे की कार्यवाही को रोकने की मांग की। कहा कि सहमति से बने संबंध को दुष्कर्म नहीं मना जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि विवाह का वायदा स्पष्ट रूप से झूठा था। ये अभियुक्त द्वारा अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाने और उसके कार्यों से शिकायतकर्ता के गर्भधारण और उसके बाद गर्भपात होने से प्रदर्शित होता है। अदालत ने याची के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट व केस कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया।
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