परेशान करने के लिए आदेशों का उल्लंघन करते हैं बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी: हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी याचियों को परेशान करने के लिए जानबूझकर अदालती आदेशों का उल्लंघन करते हैं। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने चेतावनी दी कि आदेश का पालन न होने पर अपर मुख्य सचिव और निदेशक को कोर्ट में पेश होना होगा। मामला 2011 की शिक्षक भर्ती से जुड़ा है।

विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मनमाने ढंग से काम करने की प्रवृत्ति पर तीखी टिप्पणी की है। कहा है कि वे याचियों को परेशान करने के लिए जानबूझकर अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हैं।
उज्जमा व एक अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो अगली तिथि पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को कोर्ट में उपस्थित होना होगा। अगली सुनवाई 22 सितंबर 2025 को होगी।
मुकदमे से जुड़े तथ्य यह है कि रामपुर की याची उज्जमा और चेतना सैनी 2011 में प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती में शामिल हुई थीं। जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने नियुक्ति पत्र देने से इन्कार कर दिया। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
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कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की कि अधिकारियों ने 2018 के कोर्ट के आदेश का पालन करने का इरादा ही नहीं दिखाया। इसके बजाय उन्होंने 2019 में अनंतिम नियुक्ति पत्र पेश किया और दावा किया कि आदेश का पालन हो गया है। कोर्ट ने इस कृत्य को न्यायालय को गुमराह करने वाला माना है।
कोर्ट ने कहा, स्पष्ट निर्देश के बावजूद याचियों को परेशान किया गया है और दो अवमानना याचिकाएं और तीन रिट याचिकाएं दायर करने के लिए मजबूर किया गया है।
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