'मतांतरण की कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना की गई शादी मान्य नहीं', इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की टिप्पणी
High Court On Religious Conversion इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू-मुस्लिम जोड़ों द्वारा सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया है। जोड़ों ने परिवार से जीवन को खतरा बताते हुए अपनी सुरक्षा तथा वैवाहिक जीवन में किसी के हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा ये विपरीत धर्म के जोड़ों के विवाह के मामले हैं।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। Allahabad High Court On Religious Conversion: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू-मुस्लिम जोड़ों द्वारा सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मतांतरण की कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना किया गया विवाह कानून के तहत मान्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने मुरादाबाद सहित अन्य जिलों के कई याचियों की अलग अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।
जोड़ों ने परिवार से जीवन को खतरा बताते हुए अपनी सुरक्षा तथा वैवाहिक जीवन में किसी के हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा, ये विपरीत धर्म के जोड़ों के विवाह के मामले हैं। इन विवाहों में धर्मांतरण विरोधी कानून का पालन नहीं किया गया।
गैरकानूनी धर्मांतरण पर रोक
हाई कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2021 में पारित धर्मांतरण विरोधी कानून गलतबयानी, बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती और प्रलोभन द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी धर्मांतरण पर रोक लगाता है। आठ याची गण में पांच मुस्लिम युवकों ने हिंदू महिलाओं से और तीन हिंदू युवकों ने मुस्लिम महिलाओं से बिना विधिक तौर पर मतांतरण किए हुए शादी की है।
उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों द्वारा बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।
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