Updated: Tue, 30 Jan 2024 08:14 AM (IST)
Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रयागराज प्रवीण कुमार तिवारी के खिलाफ जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत विवेचना में सहयोग की शर्त पर गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। याची का कहना है कि जब वह जौनपुर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पद पर था उस समय जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर कोविड 19से पीड़ित थे तब...
विधि संवाददाता, प्रयागराज। Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रयागराज प्रवीण कुमार तिवारी के खिलाफ जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत विवेचना में सहयोग की शर्त पर गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति गजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने दिया है।
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याची का कहना है कि जब वह जौनपुर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पद पर था, उस समय जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर कोविड 19से पीड़ित थे, तब उसे इस पद का भी प्रभार मिला था। हिंदू इंटर कालेज मुंगराबादशाहपुर की प्रबंध समिति का चुनाव उसकी व संयुक्त शिक्षा निदेशक वाराणसी की निगरानी में हुआ। याची ने पद का दायित्व निभाते हुए नव निर्वाचित प्रबंधक का हस्ताक्षर सत्यापित किया।
धोखाधड़ी व षड्यंत्र का आरोप
शिकायतकर्ता ने धारा 156(3)के तहत षड्यंत्र व धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अदालत में अर्जी दी जिसपर प्रश्नगत एफआइआर दर्ज की गई है। याची का यह भी कहना है कि इस मामले में उसके खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाही नहीं की गई। वह सरकारी सेवक है।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197के तहत सरकार की अनुमति लिए बगैर उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती। प्राथमिकी झूठी है,केवल उसे परेशान करने के लिए है।
प्रबंध समिति चुनाव में कुछ अवैध हुआ है तो शिकायतकर्ता को कानून के तहत चुनौती देने का अधिकार है। याची ने पद दायित्व निभाया है। उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का उल्लघंन है। इसलिए प्राथमिकी जाए। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
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