इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी- अदालतें उद्योग और बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, कहा; वकीलों की हड़ताल से न्याय के शत्रु खुश होते हैं
Allahabad Highcourt News खंडपीठ ने कहा तहसील बार एसोसिएशन के पत्र से साफ है कि वकील की मौत पर न्यायिक कार्य से विरत रहते हैं। याची ने इसे गलत करार देते हुए कहा वकील ही नहीं उनके परिवार व दूर के रिश्तेदार की मौत पर यहां तक कि सपा के जिला अध्यक्ष की मौत पर वकीलों ने हड़ताल की।

विधि संवाददाता, प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बलिया की रसड़ा तहसील में वकीलों की हड़ताल पर तल्ख टिप्पणी की है। कहा है कि कोर्ट कोई उद्योग नहीं है और न ही बार काउंसिल अथवा बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन हैं, जो अपनी मांगों को मनवाने के लिए उद्योग मालिकों से सौदेबाजी करते हैं।
यह तल्ख टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने जंग बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की। कोर्ट ने कहा, ‘बिना उचित कारण वकीलों की हड़ताल समाज के हाशिए पर बैठे गरीब वादकारी के जीवन स्वतंत्रता व जीविकापार्जन को कठिनाई में डालती है।
वादकारियों की मौन चीत्कार सुनकर सभ्य समाज को हल निकालना चाहिए अन्यथा न्याय के दरवाजे बंद होने पर वे न्याय पाने के लिए कानून के दायरे से बाहर अपराधियों की मदद लेने लगेंगे। वकील तथा अदालत को संविधान प्रदत्त न्याय प्रणाली में भरोसा कायम रखने का उपाय करना चाहिए।’
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘वकील जिसने वादकारी से केस लिया है,वह अदालत जाने से इन्कार नहीं कर सकता।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि छह जून 2023 को कोर्ट ने बार काउंसिल को शिकायत निवारण कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। इसमें जिला जज,अपर जिला जज,सीजेएम ,डीजीसी सिविल व क्रिमिनल एवं जिला बार एसोसिएशन को शामिल करने का आदेश था, ताकि वकीलों की हड़ताल को नियंत्रित किया जा सके।
कोर्ट ने उप्र बार काउंसिल के अध्यक्ष को यह जानकारी दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या हड़ताल पर नियंत्रण की कोई गाइडलाइन बनी है तथा हड़तालियों पर की कार्रवाई की गई है। प्रकरण में अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी।
कितने दिन हड़ताल की यह नहीं बताया
याची ने रसड़ा तहसील बार एसोसिएशन की 31 जनवरी 2023 से जारी हड़ताल पर कार्रवाई करने की मांग की है। कहा कि वकीलों की हड़ताल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। कोर्ट ने बार काउंसिल से जानकारी मांगी तो 19 जनवरी 2024 को बताया कि अब हड़ताल समाप्त हो गई है और अदालत काम कर रही है, किंतु यह नहीं बताया कि कितने दिन हड़ताल रही?
कोर्ट ने कहा- वकीलों की हड़ताल से शत्रु खुश होते हैं
खंडपीठ ने कहा, तहसील बार एसोसिएशन के पत्र से साफ है कि वकील की मौत पर न्यायिक कार्य से विरत रहते हैं। याची ने इसे गलत करार देते हुए कहा वकील ही नहीं उनके परिवार व दूर के रिश्तेदार की मौत पर यहां तक कि सपा के जिला अध्यक्ष की मौत पर वकीलों ने हड़ताल की।
कोर्ट ने कहा, वकीलों की हड़ताल न्याय के पहिए को स्थिर करती है। इससे न्याय के शत्रु खुश होते हैं। वादकारी परेशान हैं, उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा। वह हताश होकर समस्या का हल निकालने के लिए अन्य गैर न्यायिक रास्ता अपना सकते हैं। इसलिए वकील व अदालत ऐसा काम न होने दें जिससे न्याय तंत्र के प्रति वादकारियों के भरोसे का क्षरण हो।
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