...तो क्या अब बदल जाएगा इलाहाबाद हाई कोर्ट और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का भी नाम, राज्यसभा में उठी मांग
इलाहाबाद हाई कोर्ट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम बदलने की मांग राज्यसभा में उठी है। आप सांसद अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि जब शहर का नाम प्रयागराज हो चुका है तो इन संस्थानों के नाम भी बदले जाने चाहिए। उन्होंने ब्रिटिश काल में रखे गए नामों को बदलने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं लेकिन क्या यह पर्याप्त है?

नयी दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा सदस्य अशोक कुमार मित्तल ने सोमवार को राज्यसभा में इलाहाबाद हाई कोर्ट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जब शहर का नाम प्रयागराज हो चुका है, तो इन संस्थानों के नाम भी बदले जाने चाहिए। उन्होंने संस्थानों और भवनों के ब्रिटिश काल में रखे गए नामों को भी बदलने की मांग की।
आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य अशोक कुमार मित्तल ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत ने 200 वर्षों तक अंग्रेजों के अत्याचार देखे। आजादी के 70 वर्षों के बाद भी कई हाई कोर्ट, सड़कों, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों के नाम अभी भी अंग्रेजों के नाम पर हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने, भारतीय दंड संहिता का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता करने जैसे उदाहरण दिए। मित्तल ने कहा, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? बांबे हाई कोर्ट, मद्रास हाई कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट जैसे कई हाई कोर्ट के नाम अभी भी ब्रिटिश काल के हैं।
दिल्ली में ऐसी सड़कें और अस्पताल हैं जिनके नाम ब्रिटिश काल के हैं। मित्तल ने कहा कि उन्हें प्रयागराज में महाकुंभ की पवित्र यात्रा करने का अवसर मिला। शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है, लेकिन वहां का हाई कोर्ट अभी भी इलाहाबाद हाई कोर्ट, विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लोकसभा क्षेत्र को इलाहाबाद के नाम से जाना जाता है।
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मित्तल ने कहा कि वह ब्रिटिश काल के नाम वाली इमारतों और संस्थानों के नाम बदलने के लिए राज्य सरकारों को भी पत्र लिखेंगे। उन्होंने उन संस्थाओं की पहचान करने के लिए एक संसदीय समिति गठित करने का भी सुझाव दिया जिनके नाम अभी भी ब्रिटिश काल से ही चले आ रहे हैं।

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