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    मंदिरों के मेलों को सरकारी मेला घोषित करने की याचिका पर सुनवाई टली, 17 जनवरी को होगी हियरिंग

    इलाहाबाद हाई कोर्ट में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की उस जनहित याचिका पर सुनवाई 17 जनवरी 2025 तक टल गई है जिसमें मंदिरों के मेले व त्योहारों के सरकारी प्रबंधन का विरोध किया गया है। स्वामी का कहना है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 25 और 31-ए का उल्लंघन है। अब अगले साल 17र जनवरी को सुनवाई होगी।

    By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 09 Dec 2024 07:53 PM (IST)
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    हाई कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर अब 17 जनवरी को सुनवाई होगी। (तस्वीर जागरण)

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की उस जनहित याचिका की सुनवाई नहीं हो सकी, जिसमें मंदिरों के मेले व त्योहारों के सरकारी प्रबंधन का विरोध किया गया है।

    स्वामी के अधिवक्ता के अनुरोध पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई 17 जनवरी, 2025 तक के लिए टाल दी है। कोर्ट इस याचिका पर अब अगले साल 17 जनवरी को सुनवाई करेगी।

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    याचिका में इन बातों का किया गया था जिक्र

    याचिका में प्रदेश सरकार की 18 सितंबर, 2017 की अधिसूचना और तीन नवंबर, 2017 के परिणामी आदेश रद्द करने की मांग की गई है। कहा गया है कि यह अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31- ए का उल्लंघन है। प्रदेश सरकार मनमाने, असंवैधानिक और अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों का प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है।

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    जनहित याचिका में राज्य सरकार को मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने अथवा उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग है।

    मांग की गई है कि सरकार को ऐसा करने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश दिया जाए। आक्षेपित अधिसूचना/आदेश के अंतर्गत सीतापुर के नैमिषारण्य स्थिति मां ललिता देवी शक्तिपीठ, मिर्जापुर स्थित मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, बलरामपुर जिले के तुलसीपुर स्थित मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ एवं सहारनपुर स्थित शाकंभरी माता मंदिर में आयोजित होने वाले मेलों को राजकीय/सरकारी मेला घोषित किया गया है।

    हर साल नवरात्र के दौरान इन मेलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। प्रदेश सरकार ने अपने फैसले को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे जिला प्रशासन को श्रद्धालुओं के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी। सरकार का लक्ष्य इन मेलों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाना है।

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