इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र को अदालत में हाजिर करें, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया आदेश, जौनपुर पुलिस पर हिरासत में रखने का आरोप
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र इंतेखाबुल मुख्तार को 7 अक्टूबर को अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। छात्र पर जौनपुर पुलिस द्वारा अवैध हिरासत का आरोप है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि छात्र को क्यों न रिहा किया जाए। यह आदेश छात्र के चाचा की याचिका पर दिया गया जिन्होंने भतीजे के साथ गलत होने की आशंका जताई थी।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमए के छात्र इंतेखाबुल मुख्तर को सात अक्टूबर को अदालत के समक्ष हाजिर करने का आदेश दिया है। छात्र को जौनपुर पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप है। इसे लेकर हाई कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई है।
कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष मालवीय को अगली तारीख पर बताने के लिए कहा है कि क्यों न छात्र को मुक्त किया जाय? यह आदेश छात्र के चाचा आफताब आलम की याचिका पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति जफीर अहमद की खंडपीठ सुनवाई करते हुए दिया है।
याची सोनभद्र के थाना घोरावल, ग्राम बिसरेखी का रहने वाला है। याची अधिवक्ता ने कहा कि इंतेखाबुल मुख्तार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमए का छात्र है। वह मुस्लिम छात्रावास के कमरा नंबर 71 में रह रहा था। याची अफताब आलम 24 सितबर को प्रयागराज आया तो पता चला कि इंतेखाबुल पिछले दो दिन से गायब है।
इसी दौरान एक फोन काल से उन्हें पता चला कि इंतेखाबुल जौनपुर के पुलिस थाना मुंगरा बादशाहपुर थाने में हिरासत में है। वह तुरंत थाना गए लेकिन उन्हें भतीजे से मिलने नहीं दिया गया। याची ने आशंका जताई कि उसके भतीजे के साथ कुछ गलत हो सकता है । उन्होंने पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 पर कॉल भी किया।
इसके बाद भी उन्हें कहीं से मदद न मिलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। याचिका में उप्र सरकार, पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त प्रयागराज, थाना प्रभारी कर्नलगंज, पुलिस अधीक्षक जौनपुर, थाना प्रभारी मुंगरा बादशाहपुर को प्रतिवादी बनाया गया है।
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