महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान, आखिर कैसे हो रही है ये गिनती… जानें इस सवाल का सटीक जवाब
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। आभासी रेखा खींची गई है और एआई कैमरों को इस तरह से इंस्टॉल किया गया है कि रेखा पार करते ही श्रद्धालु की गिनती हो जाए। इसके अलावा मोबाइल कंपनियों के टावर के बीटीएस से भी डाटा उठाया जा रहा है। महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है।

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। अगर आप महाकुंभ में स्नान करने आए हैं तो आपको पता तक नहीं चलेगा कि एक आभासी रेखा (वर्चुअल लाइन) के पार करते ही आपकी गिनती कर ली गई है। दरअसल, तकनीक के संगम से यह संभव हो पा रहा है। इसके लिए सर्वाधिक निर्भरता एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर है।
एआई के सहयोग से महाकुंभनगर में आने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर आभासी रेखा खींची गई है और यहीं एआई कैमरों को इस तरह से इंस्टॉल किया गया है कि रेखा पार करते ही श्रद्धालु की गिनती हो जाए। यह विशिष्ट कैमरा केवल श्रद्धालुओं का हेड काउंट ही नहीं करता बल्कि उनकी तस्वीर भी अपने डेटाबेस में संग्रहीत कर लेता है।
इससे यह लाभ होता है कि अगर उक्त व्यक्ति की तस्वीर कहीं किसी दूसरे कैमरे में कैप्चर हो तो सॉफ्टवेयर उसे पहचान लेगा और एक ही तस्वीर की अलग-अलग गिनती को छांट देगा ताकि गणना वास्तविकता के अधिक से अधिक करीब हो।
और भी तरीके अपनाए जा रहे
गणना के लिए और भी तरीके अपनाए जा रहे हैं। मोबाइल कंपनियों के टावर के बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) से भी डाटा उठाते हैं और इनके संयोजन को भी आंकड़ों के सही अनुमान के लिए उपयोग में लेते हैं।
महाकुंभ में बने इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर में सभी डाटा का संकलन कर अंतिम संख्या तय की जाती है। इस बार महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है। अब तक 17 दिनों में लगभग 28 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं। सबसे ज्यादा भीड़ मौनी अमावस्या के दो दिनों में लगभग 13 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे हैं।
यह दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट हो रहा है, जो कीर्तिमान होगा। श्रद्धालुओं की काउंटिंग और ट्रैकिंग के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जबकि शहर के अंदर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
सौ से अधिक पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के अलावा पुलिस लाइन कंट्रोल रूम व अरैल एवं झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर हैं, जहां से श्रद्धालुओं की मॉनिटरिंग की जा रही है।
टर्नअराउंड साइकिल तकनीक भी महत्वपूर्ण
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि हेड काउंट में एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल तकनीक है। घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है।
टर्नअराउंड समय निर्धारित तीन विधियों के माध्यम से प्राप्त सैंपल्स का औसत आंकड़ा होता है। इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज है, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाती है।
दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित है, जिसमें प्रमुख स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में प्रत्येक दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड दिया जाता है। रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाता है, जिससे पता चल जाता है कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया, कितनी देर वह अंदर रहा और कितनी देर बाहर रहा।
तीसरी विधि मोबाइल एप के द्वारा ट्रैकिंग होगी, जिसमें तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा रही है।
अत्यधिक भीड़ घनत्व निगरानी प्रणाली है एल्गोरिदम
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और आईजी रेंज प्रेम कुमार ने आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम की मदद से एल्गोरिदम भीड़ घनत्व निगरानी प्रणाली विकसित की है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो वास्तविक समय में भीड़ के दृश्यों वाले छवि संकेतों का विश्लेषण और प्रसंस्करण करने के लिए कंप्यूटर विजन तकनीक का उपयोग करती है। भीड़ घनत्व का पता लगाने में मुख्य रूप से गति का पता लगाना और घनत्व का अनुमान लगाना शामिल है।
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