महाकुंभ में चर्चा का विषय बने 3 साल के संत श्रवण पुरी, मन्नत पूरी होने पर दंपती ने आश्रम में कर दिया था दान
Mahakumbh 2025 श्रवण पुरी जूना अखाड़े के अनुष्ठान में शामिल होते हैं और आरती करते हैं। श्रवण पुरी का व्यवहार आम बच्चों से बिल्कुल अलग है। भोजन के अलावा चॉकलेट नहीं बल्कि फल खाना पसंद करते हैं। वो गुरु भाइयों के साथ खेलते हैं। पापा मम्मी को याद करने के बजाए संतों के साथ तुतलाती भाषा में श्लोक मंत्र बोलते हैं।
जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ में वैसे तो संत और महात्माओं का आध्यात्मिक कुनबा जुट रहा है। इसमें एक ऐसे भी संत हैं जिनकी उम्र अभी केवल साढ़े तीन साल की है। उनका नाम है श्रवण पुरी। इन्हें संत का दर्जा जूना अखाड़े के बाबाओं ने अभी से दे दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रवण पुरी के लक्षण साधु संन्यासियों के जैसे हैं।
श्रवण पुरी जूना अखाड़े के अनुष्ठान में शामिल होते हैं और आरती करते हैं। श्रवण पुरी का व्यवहार आम बच्चों से बिल्कुल अलग है। भोजन के अलावा चॉकलेट नहीं बल्कि फल खाना पसंद करते हैं। वो गुरु भाइयों के साथ खेलते हैं। पापा मम्मी को याद करने के बजाए संतों के साथ तुतलाती भाषा में श्लोक, मंत्र बोलते हैं।
बच्चे को आश्रम में दान कर गए थे दंपती
दरअसल श्रवण पुरी को हरियाणा के फतेहाबाद स्थित धारसूल क्षेत्र के एक दंपती फरवरी 2021 में डेरा बाबा श्याम पुरी के आश्रम में दान कर गए थे। तब बच्चे की उम्र केवल तीन महीने की ही थी। दंपती की कोई मन्नत पूरी हुई थी उसी के प्रतिफल में उन्होंने बच्चे को आश्रम में दान कर दिया था।
गुरु भाई करते हैं बच्चे की देखभाल
श्रवण पुरी के गुरु अष्टकौशल महाराज संत पुरी बताते हैं कि आश्रम से जूना अखाड़े में बच्चे को समर्पित किया गया था। उसके बाद से बच्चा यहीं पर पल रहा है। देखभाल गुरु भाई करते हैं। संतों और गुरु भाइयों के बीच रहते श्रवण पुरी का व्यवहार एकदम आध्यात्मिक हो गया है। छोटी सी उम्र में श्रवण पुरी को देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं।
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संतों की तरह ही है बच्चे का रहन सहन
श्रवण पुरी के सोने और जागने का समय संतों की तरह ही है। सर्दी के दिन हैं इसलिए भोर में उन्हें पांच बजे के आसपास जगाया जाता है लेकिन गर्मी के मौसम में श्रवण पुरी की नींद चार बजे के पहले ही खुल जाती है। जूना अखाड़े में महंत कुंदन पुरी कहते हैं कि बच्चों के अंदर तो स्वयं भगवान बसते हैं। अबोध बालक जब साधु के स्वरूप में हो जाएं तो यह बच्चे और जगत के लिए भी कल्याणकारी है।
आपको बता दें कि प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ मेले की शुरूआत हो रही है। ऐसे में यहां पर लगभग पूरी तैयारियां कर ली गईं हैं। इस साल 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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