Maha Kumbh Stampede: 'गंगा मइया ने बचाई हमारी जान, नहीं तो...,' भगदड़ से निकले पीड़ित ने बताई भयावह कहानी
(Maha Kumbh 2025) महाकुंभ में गंगा (Ganga Snan) ने बचाई भक्तों की जान भगदड़ में फंसने से बचे श्रद्धालु। प्रयागराज के संगम में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस दौरान भगदड़ (Maha Kumbh Stampede) मचने से कई लोगों की मौत हो गई। लेकिन कुछ ऐसे भी श्रद्धालु थे जिन्हें गंगा मइया ने बचा लिया।

रमेश रामनाथ यादव, प्रतापगढ़। रात के दो बज रहे थे। हम लोग मौनी अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाने को संगम की तरफ जा रहे थे। हर तरफ भीड़ ही भीड़ थी। अचानक एंबुलेंस के सायरन बजने लगे। भीड़ बढ़ने पर धक्का-मुक्की होने लगी। हम लोगों ने खुद को संभाला और आगे बढ़ते रहे।
कुछ दूर जाने पर हमें रोक दिया गया। काफी मशक्कत के बाद भी जब हम आगे नहीं बढ़ पाए तो वहीं, थोड़ी दूर पर बने घाट पर गंगा में स्नान कर लिया। स्नान करने पर जब लौटे तो पता चला कि संगम नोज के पास भगदड़ में कई की जान चली गई।
इतना बताते-बताते गोंडा के खोरासा निवासी रामसेवक का गला भर आया। बोले कि प्रभू ने हमें दूसरा जन्म दिया है। गंगा मइया ने जान बचाई। प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाने के बाद स्पेशल ट्रेन से गुजरे श्रद्धालुओं ने चिलबिला जंक्शन पर हादसे के दौरान वहां के दृश्य को साझा किया।
रात में भीड़ बढ़ती जा रही थी
मेला स्पेशल ट्रेन से अयोध्या लौट रहे गोंडा के खोरासा थाने के रसूल गांव निवासी शिव पूजन बोले कि गांव व आसपास के लोगों का जत्था मंगलवार को स्पेशल ट्रेन से प्रयागराज गया था। रात में एक बजे के बाद हम लोग स्नान के लिए जा रहे थे। एक घंटे पैदल चलने पर भीड़ बढ़ती जा रही थी। हमें रास्ते में रोक दिया गया।
कहा गया कि यहीं पर स्नान करना है। हम लोगों ने संगम तक जाने का आग्रह किए तो पुलिसकर्मी नहीं मानें। बगल में घाट बना था। वहीं पर किसी तरह स्नान किया। अयोध्या के रहने वाले 45 वर्षीय संजय पांडेय ने बताया कि एक बार बचपन में महाकुंभ आया था। अब दूसरी बार स्नान करने का मौका मिला, जहां पर भगदड़ हुई थी, उससे एक किलोमीटर पहले ही हमें रोक दिया गया था। जब तक हम लोग वहां पर थे, सिर्फ हमें एंबुलेंस का सायरन ही सुनाई देता रहा।
लोग आस्था में इतने रमे थे कि जिस को जहां पर घाट मिला, वहीं पर स्नान कर लिया। सुलतानपुर के कुडवार के रहने वाले अमित ने बताया कि एक रास्ते से लोग जा रहे थे, उसी रास्ते के दूसरी तरफ से लोग आ रहे थे। भीड़ बहुत ज्यादा थी। स्नान के बाद हमें पता चला कि मेले में भगदड़ हुई थी तो हमें एक बार विश्वास ही नहीं हुआ कि हम लोग मेले से सकुशल डुबकी लगाकर लौट आए थे। बड़ों के आशीर्वाद से जीवन बच गया।
अपनों की चिंता में स्वजन बेहाल
महाकुंभ में कल्पवास करने व मौनी पर स्नान करने को जिले से हजारों लोग गए थे। हादसे के बाद यहां के स्वजन उनकी कुशलता जानने को परेशान हो गए। फोन करने लगे। संपर्क न होने पर साथ गए लोगों से संवाद करके हाल-चाल जानने में लगे रहे।
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