त्वचा से गायब हो रही नमी, बढ़ा रूखापन
ठंडी का मौसम वैसे तो सेहत के लिए बेहतर होता है पर त्वचा के रोग इसमें होने का खतरा भी रहता है। वजह यह कि वायुमंडल में नमी की कमी हो जाती है और लोग पानी कम पीते हैं। इन दिनों अस्पतालों में त्वचा के फटने सख्त होने रेशे निकलने खून निकलने की समस्या लेकर बहुत से लोग चिकित्सक के पास आ रहे हैं।

प्रतापगढ़ : ठंडी का मौसम वैसे तो सेहत के लिए बेहतर होता है, पर त्वचा के रोग इसमें होने का खतरा भी रहता है। वजह यह कि वायुमंडल में नमी की कमी हो जाती है और लोग पानी कम पीते हैं। इन दिनों अस्पतालों में त्वचा के फटने, सख्त होने, रेशे निकलने, खून निकलने की समस्या लेकर बहुत से लोग चिकित्सक के पास आ रहे हैं।
मौसम का रुख इन दिनों बदला है तो त्वचा से नमी गायब हो रही है। प्यास कम लगने से पानी का कम सेवन खतरनाक हो रहा है। चेहरे पर रूखापन आम बात है। खासकर पैरों की त्वचा सख्त होकर फटने, उसमें दर्द, खुजली होने की समस्या लेकर मरीज चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। एड़ी में फटने के केस भी आम हैं।
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नहीं हैं विशेषज्ञ चिकित्सक
इस संक्रमण से परेशान लोगों को दिक्कत यह भी पेश आ रही है कि जिला पुरुष व महिला अस्पतालों में स्किन एक्सपर्ट चिकित्सक नहीं हैं। आयुष व होम्योपैथिक डॉक्टर देखते हैं। वहां भीड़ लगी रहती है। जिला अस्पताल में त्वचा रोग विभाग का अस्तित्व ही नहीं है। ऐसे में लोग प्रयागराज, लखनऊ से हर रविवार को आने वाले निजी चिकित्सकों के भरोसे रहते हैं। पैरों की सफाई पर दें ध्यान
इस सीजन में शरीर में नमी बनाए रखने की बहुत जरूरत है। कम से कम हर दिन पांच लीटर पानी का सेवन करें। राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल की चिकित्साधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह की सलाह है कि पैरों के तलवों को गुनगुने पानी से साफ करके उसे साफ, नरम कपड़े से सुखाएं। इसके बाद कोई क्रीम या जेल चिकित्सक की सलाह से लगाएं। पैरों में मोजे व कपड़े के जूते पहनें। साबुन वाले पानी, धूल, मिट्टी में कम से कम जाएं। चेहरे पर समस्या हो तो रात में साफ करके हल्की क्रीम लगाएं। उसे रगड़ें नहीं।
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