अतीक-अशरफ के हत्यारोपितों को चित्रकूट जेल किया गया शिफ्ट, प्रतापगढ़ जेल प्रशासन ने खड़े कर दिए थे हाथ
Pratapgarh News माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के आरोपित शूटर सनी सिंह लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य को प्रतापगढ़ जेल से सुरक्षा कारणों से हटाया गया है। इस 136 साल पुरानी जेल में उनको सुरक्षित रख पाने में जेल प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसलिए शासन ने शूटरों को यहां से हटाकर चित्रकूट जेल में शिफ्ट कर दिया।

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के आरोपित शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य को प्रतापगढ़ जेल से सुरक्षा कारणों से हटाया गया है। इस 136 साल पुरानी जेल में उनको सुरक्षित रख पाने में जेल प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसलिए शासन ने शूटरों को यहां से हटाकर चित्रकूट जेल में शिफ्ट कर दिया।
इसकी भनक किसी को नहीं लगी। शूटरों को हटाए जाने से अब छह महीने बाद जेल प्रशासन राहत महसूस कर रहा है। माफिया भाइयों की 15 अप्रैल को प्रयागराज में सनसनीखेज ढंग से हत्या कर दी गई थी। इससे खलबली मच गई थी।
मौके पर ही पकड़े गए तीनों हमलावरों को पहले नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया। वहां पर अतीक के बेटे व कई गुर्गे बंद थे। ऐसे में शूटरों की जान का खतरा था। इधर, सनी के लारेंस विश्नोई गैंग के निशाने पर भी होने की बात खुफिया तंत्र तक पहुंची। इसलिए घटना के सप्ताहभर भर बाद ही तीनों को प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया।
यहां रखे गए आरोपितों पर भी खतरा टला नहीं था। पुलिस-प्रशासन की चुनौती बढ़ गई थी। जेल प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी कि प्रतापगढ़ जेल की क्षमता 535 बंदी रखने की है। यहां औसतन एक हजार से 1100 तक बंदी रहते हैं। ओवर क्राउड है। हाईसिक्योरिटी बैरक भी नहीं है। ऐसे में माफिया के हत्यारोपितों को सुरक्षा कारणों से यहां से हटाया जाना चाहिए।
इस रिपोर्ट पर शासन स्तर पर मंथन चला। इसके बाद नौ नवंबर की आधी रात बड़े गोपनीय ढंग से सनी, लवलेश और अरुण मौर्य को चुपचाप यहां से हटाकर चित्रकूट जेल भेज दिया गया। किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी। जिला कारागार के गेट की पुलिस चौकी को भी भनक नहीं लगने दी गई।
पुलिस के अधिकारी दूर से ही कवर करते रहे। जेल गेट तक पर अतिरिक्त पुलिस या वाहन नहीं लगाए गए, ताकि प्लान लीक न हो। इन शूटरों की पेशी वीडियो कान्फ्रेंसिंग से कराई जाती रही। शूटर हत्याकांड को अंजाम देने से पहले चित्रकूट भी गए थे।
माना जा रहा है कि घटना की जांच के लिए गठित एसआइटी चित्रकूट में आरोपितों से पूछताछ करेगी। जिला जेल अधीक्षक रमाकांत दोहरे का कहना है कि गंभीर मामलों में बंदियों को रखने व हटाने का फैसला उच्च स्तर पर होता है। शासन द्वारा मांगने पर रिपोर्ट भेजी गई थी। इसके बाद जेल शिफ्ट करने का आदेश हुआ है।
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