भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाकर ईश्वरभक्ति का दिया संदेश
बड़ा स्थल मंदिर में भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई।
जेएनएन, पीलीभीत: वृंदावन से पधारे कथावाचक राधारमण व्यास ने नगर के बड़ा स्थल मंदिर में भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई। उन्होंने लोगों को ईश्वर के प्रति भक्ति का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि भक्त प्रहलाद बचपन से ही ईर्श्वर की भक्ति में लीन हो गए थे। पिता हिरण्यकश्यप पुत्र की ईश्वर भक्ति से खिन्न था और उन्हें ईश्वर भक्ति से दूर करने के लिए तरह-तरह की यातनाएं देने लगा। इसके बाद भी उन्होंने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी। यहां तक की उनकी बुआ होलिका अपने भाई के कहने पर वरदान में दी गयी चुनरी ओढ़कर भगवान प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से चुनरी ने भक्त प्रहलाद को बचा लिया, जबकि होलिका आग में जलकर म गयी। बाद में प्रहलाद को मारने के लिए पिता ने अपने दूतों से पुत्र को पहाड़ों से नीचे फिकवाया, मद मस्त हाथी के आगे डलवाया। इसके बावजूद जब प्रहलाद की मौत नहीं हुई तो स्वयं उसने एक खंभे को गर्म कराकर भक्त प्रहलाद को खंभे से लिपटने के लिए कहा और स्वयं तलवार लेकर उसको मारने को खड़ा हो गया। भक्त प्रहलाद की पुकार सुनकर खंभा फट गया और खंभे के अंदर से नरसिंह भगवान प्रकट हो गये और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर डाला। यही पर कथा का समापन हो गया। उन्होंने कहा कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जो लोग अहंकार करते है उनका अंत भी हिरण्यकश्यप की तरह ही हो जाता है।
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