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    बड़ी खबर! पीलीभीत जिला अस्पताल में लगेगा ETP-STP प्लांट, गंदगी और बैक्टीरिया का होगा खात्मा

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 05:24 PM (IST)

    जिला अस्पताल में ईटीपी और एसटीपी प्लांट लगाने के लिए दो करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। इन प्लांटों की स्थापना से अस्पताल से निकलने वाले दूषित पानी का शोधन किया जा सकेगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी और जल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा। यह अस्पताल के कचरे के प्रबंधन में भी सहायक होगा।

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    पीलीभीत ज‍िला अस्‍पताल

    जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जिला अस्पताल के वार्ड और लैबों से निकलने वाले गंदे पानी के साथ मेडिकल अपशिष्ट को बिना किसी नुकसान के साफ करने के लिए ईटीपी और एसटीपी प्लांट लगाए जाने का अस्पताल प्रबंन को दो करोड़ का बजट मिला है। प्लांट के शुरु होने के बाद अस्पताल परिसर में फैलने वाली गंदगी, दुर्गेध और बैक्टीरिया जनित संक्रमण से राहत मिलेगी।

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    जिला अस्पताल के बायोकेमिस्ट, ब्लड बैंक इत्यादि विंग के अलावा वार्डो से मेडिकल बेस्ट और अपशिष्ट निकलता है। जिसके नदी नालों में प्रवाहित करने से संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के अलावा आम लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए ईटीपी और एसटीपी प्लांट लगाने के शासन ने आदेश दिए हैं। यह नियम सरकारी और निजी अस्पताल दोनों पर ही लागू होता है।

    इसीक्रम में मेडिकल कालेज में ईटीपी (एन्फ्लूयंज ट्रीटमेंट प्लांट) और एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। जिसको लेकर शासन ने दो करोड़ का बजट जारी किया है। यह प्लांट करीब पांच हजार केएलडी क्षमता के होंगे। यह प्लांट प्रतिदिन पांच हजार लीटर सीवर से निकलने वाला पानी व मेडिकल अपशिष्ट के शोधन का निस्तारण करेंगे।

    तीन चरणों में काम करेंगा प्लांट

    जिला अस्पताल में लगने वाला ईटीपी और एसटीपी प्लांट तीन चरणों में काम करते हुए अपशिष्ट जल को साफ करेगा। प्रतिदिन अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या में बायोमेडिकल बेस्ट निकलता है। हालांकि अभी तक यह फर्म के द्वारा इसका निस्तारण किया जाता है, लेकिन पानी को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। इस योजना के शुरू होने के बाद केमिकल युक्त पानी और बैक्टीरिया को खत्म कर प्रवाहित किया जाएगा।

    शहर से लेकर देहात के निजी अस्पताल कर रहे नियम की अनदेखी

    बायोमेडिकल बेस्ट को लेकर एनजीटी की सख्ती तेज है। मगर उनका यह नियम अधिकतर निजी अस्पताल संचालक नहीं मान रहे हैं। सीएमओ अधीन करीब 100 से अधिक अस्पताल एवं नर्सिंग होम में करीब 30 फीसदी अस्पतालों में एसटीपी और ईटीपी प्लांट स्थापित नहीं है। जबकि नियम है कि एनजीटी की सख्ती के बाद शासन ने 10 बेड वाले प्रत्येक अस्पताल और नर्सिगहोम में एसटीपी और ईटीपी प्लांट लगाने के निर्देश दिए हैं।

    आदेश आने के बाद सीएमओ कार्यालय की ओर से नोटिस जारी किए थे। मगर अब कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में अधिकांश अस्पताल में ईटीपी और एसटीपी प्लांट के बिना ही चल रहे हैं। इतना ही नहीं कई अस्पतालों से तो बायोमेडिकल बेस्ट भी खुले में फेंका जा रहा है। जो संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है।

     

    शासन की ओर से एसटीपी और ईटीपी प्लांट स्थापित करने के आदेश दिए गए हैं। इसको लेकर दो करोड़ का बजट दिया गया है। इन प्लांट के स्थापित होने से मेडिकल अपशिष्ट का बेहतर ढंग से निस्तारण हो सके। जिससे संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। बजट मिल गया है। जल्द ही काम शुरू कराया जाएगा।

    - डा. संगीता अनेजा प्राचार्य मेडिकल कालेज पीलीभीत


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