'दिल्ली हमले के बाद कठघरे में जांच एजेंसियां', कैसी हो पुलिसिंग व्यवस्था; पूर्व DGP ने बताया आगे का रास्ता
दिल्ली में आतंकी हमले के बाद, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने पुलिस की जांच व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस को आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए और लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। उन्होंने राष्ट्र विरोधी तत्वों पर कठोर कार्रवाई करने और पुलिसिंग व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई सुझाव दिए।
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जागरण संवाददाता, नोएडा। दिल्ली में 10 नवंबर को हुए आतंकी हमले के बाद पुलिस की चेकिंग व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। आतंकी डॉ. उमर कई किलोमीटर तक कार में विस्फोटक को लेकर घूमता रहा पर किसी भी नाके पर उसकी चेकिंग नहीं हुई, यह पुलिस की लापरवाही ही दिखाती है, क्योंकि पुलिस आज भी अपने पुराने ढर्रे पर काम करती है। समय बदल रहा है, इसलिए पुलिसिंग व्यवस्था को भी अगले चरण पर ले जाने की जरूरत है।
पुलिस भी सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाए। गांव और शहरी क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करे। उनसे हमेशा बातचीत करते रहे, सुरक्षा को लेकर जानकारी साझा करें, पुलिस अधिकारी सुरक्षा को लेकर क्षेत्र का मुआयना करें और लापरवाही पर तुरंत ठोस कार्रवाई करें। ये बातें नोएडा के दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कही।
वहीं, कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि बिना दंड के राज्य नहीं चलाया जा सकता है, यह ध्येय बनाते हुए शासन-प्रशासन को अपना काम करना होगा। विदेशों में जिस प्रकार राष्ट्र विरोधी लोगों पर कार्रवाई होती है, वैसे ही यहां भी दंगाइयों और उनके समर्थकों पर कठोर कार्रवाई हो, ताकि कोई भी राष्ट्र विरोधी ताकतें सिर न उठा सकें।
उन्होंने कहा कि नूंह में तब्लीगी जमात के हुए धार्मिक आयोजन में कौन लोग कहां-कहां से आए थे, इसकी जानकारी भी पुलिस को नहीं थी। वहीं कई सौ किलो विस्फोटक को जम्मू में ले जाने की क्या जरूरत थी, जब थोड़ी मात्रा से इसकी जांच हो सकती थी। ये पुलिस की लापरवाही थी।
आतंकी घटनाएं सोच पर करती हैं निर्भर
अब पढ़े-लिखे लोग भी आतंकवाद की तरफ जा रहे हैं, के सवाल पर सिंह ने कहा कि यह हमारे सोच पर निर्भर करता है। ओसामा बिन लादेन भी काफी पढ़ा-लिखा था, लेकिन उसके आतंकी सोच से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का आतंकी बना। दिल्ली की घटना में आतंकी डॉक्टर था, क्योंकि पुलिस अक्सर डॉक्टरों और एंबुलेंस की चेकिंग नहीं करती है पर अब हमें यह धारणा बदलनी होगी। वहीं, सरकार को भी आतंकवादियों के लिए उदार दृष्टिकोण छोड़ना होगा, क्योंकि इससे आतंकी संगठनों को अपनी स्थिति मजबूत बनाने में अनुकूल वातावरण मिलता है।
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पूर्व डीजीपी ने कहा कि बेहतर पुलिसिंग के लिए गांव में ग्राम चौकीदार बनाए जाएं। शहरों में वॉट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों को पुलिस से जोड़े और उनसे कोई संदिग्ध गतिविधि का पता चले तो तुरंत कार्रवाई करें। फेसबुक, टेलीग्राम, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग अफवाहों को रोकने और सूचनाएं साझा करने में हो। फोरेंसिक व साइबर सेल को मजबूत किया जाए। पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को हाई लेवल की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर 31 दिन में कार्रवाई की जाए।

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