सुपरटेक सुपरनोवा के 1.68 लाख फ्लैट्स खरीदारों को मिली उम्मीद की नई किरण, अब अपना घर का सपना होगा पूरा!
सुप्रीम कोर्ट के सुपरटेक सुपरनोवा मामले के फैसले से 470 खरीदारों को राहत मिली है, जिससे 116 अन्य बिल्डर परियोजनाओं के 1.68 लाख होमबायर्स में उम्मीद जग ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट के सुपरटेक सुपरनोवा मामले के फैसले से फ्लैट्स खरीदारों को राहत मिली है। फाइल फोटो
कुंदन तिवारी, जागरण नोएडा। सुप्रीम कोर्ट के सुपरटेक ग्रुप के सुपरनोवा मामले में फैसले से 470 खरीदारों को सीधे राहत मिली है। यह राहत अब 116 बिल्डर प्रोजेक्ट्स में 1.68 लाख होमबायर्स के लिए उम्मीद की किरण बन गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, बिल्डर और IRP (इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल) सुपरनोवा प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं होंगे।
अथॉरिटी अब खरीदारों के लिए प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं रोक पाएगी। कोर्ट ने पिछले आठ सालों में ऐसे कई फैसले दिए हैं। इससे लगभग 20,000 फ्लैट खरीदारों को उनके घर मिले। इन फैसलों के कारण अथॉरिटी को लगभग 30,000 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ। ये फैसले आम्रपाली, यूनिटेक, थ्रीसी और सुपरनोवा से जुड़े प्रोजेक्ट्स में दिए गए थे।
नोएडा क्षेत्र में कई बड़े और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं या इंसॉल्वेंसी कार्यवाही के तहत घोषित किए गए हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट इन प्रोजेक्ट्स में पहले की तरह ही मिले-जुले फैसले देता है, तो अथॉरिटी को लगभग 34,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की उम्मीद है। पिछले फैसलों के कारण अथॉरिटी पहले ही आर्थिक रूप से चार साल पीछे चली गई है।
अगर ये फैसले सभी प्रोजेक्ट्स पर लागू होते हैं, तो नोएडा का विकास रुक सकता है, और अथॉरिटी अपनी मौजूदा आर्थिक स्थिति से दस साल पीछे चली जाएगी। जम्मू और कश्मीर के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एम.एम. कुमार की अध्यक्षता वाली एक समिति सुपरनोवा प्रोजेक्ट की देखरेख करेगी और सभी काम पूरे होने को सुनिश्चित करेगी।
सुपरटेक के 18 प्रोजेक्ट्स के 27,000 खरीदार भी इस सुप्रीम कोर्ट के आदेश को उम्मीद से देख रहे हैं। खरीदारों को लगता है कि अब घर खरीदने का उनका सपना पूरा होगा, क्योंकि प्रोजेक्ट्स बिल्डर और अथॉरिटी के बीच बकाया रकम को लेकर चल रहे विवाद से मुक्त हो जाएंगे।
फिलहाल, 19 बिल्डरों और अथॉरिटी के बीच लगभग 25,000 करोड़ रुपये के बकाया रकम से जुड़े मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं। 12 ऐसे बिल्डर हैं जिन्होंने जमीन आवंटन के बाद अथॉरिटी को पैसे वापस नहीं किए हैं। इससे अब शहर में यूटिलिटी सेवाओं पर असर पड़ सकता है। अथॉरिटी के पास लैंड बैंक नहीं है। उसका रेवेन्यू घट रहा है। नोएडा अथॉरिटी एक स्वायत्त संस्था है। इसलिए, जमीन बिक्री, TDR (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) और अन्य तरीकों से मिलने वाला सारा पैसा शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जाता है।
रियायतों का फायदा उठाकर बिल्डर गायब
अमिताभ कांत रिपोर्ट की सिफारिशों के तहत, 57 बिल्डर प्रोजेक्ट्स से सिर्फ़ लगभग 800 करोड़ रुपये ही रिकवर किए जा सके। 21,000 खरीदारों का रजिस्ट्रेशन होना था। हालांकि, पहली किस्त चुकाने के बाद, 5758 फ्लैट्स का रजिस्ट्रेशन पूरा होना था, लेकिन अब तक सिर्फ़ 3964 फ्लैट्स ही रजिस्टर हुए हैं। इनमें से 35 बिल्डरों ने सिर्फ़ एक किस्त जमा की और फिर चुप हो गए।
बिल्डरों को सीधा फायदा, खरीदारों को अभी भी लंबा इंतजार
सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों की आर्थिक स्थिति और मुश्किलों को देखते हुए चार बिल्डरों के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में राहत दी थी। इस राहत से 80,000 लोगों को फायदा होने की उम्मीद थी। हालांकि, बनाई गई कमेटी की देखरेख में अब तक सिर्फ़ 12 लोगों को ही उनके घर मिले हैं। 68,000 खरीदार अभी भी सालों से इंतज़ार कर रहे हैं। फैसले के बाद, बिल्डरों को उनकी ज़िम्मेदारियों से आजाद कर दिया गया है।

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