संघर्ष से कभी भी हार नहीं माननी चाहिए : आचार्य प्रशांत
प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने कहा कि जीवन में निरंतर संघर्ष का महाभारत की कहानी में एक बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि हिदुओं के दो महान ग्रंथ हैं रामायण और महाभारत। दोनों की कहानियां बहुत कुछ सिखाती हैं।
जासं, ग्रेटर नोएडा : प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने कहा कि जीवन में निरंतर संघर्ष का, महाभारत की कहानी में एक बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि हिदुओं के दो महान ग्रंथ हैं रामायण और महाभारत। दोनों की कहानियां बहुत कुछ सिखाती हैं। दोनों में दी गई सीख और बातें आज के जीवन में भी बहुत मददगार हैं।
वह नालेज पार्क स्थित केसीसी कालेज में आयोजित तीन दिवसीय वेदांत महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि महाभारत से आपको कई ऐसी चीजें मिल सकती हैं, जिन्हें अपनाने से आपको कभी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा। महाभारत में कहानी की शुरुआत से लेकर अंत तक जीवन के संघर्ष को दर्शाया गया है। चाहे अंबिका और अंबालिका का संघर्ष हो या शांतनु का गंगा को पाने का संघर्ष या फिर दोनों के साथ भीष्म पितामह का संघर्ष। इस कहानी की शुरुआत संघर्ष से ही हुई है। महाभारत में कहा गया है कि जीवन में किसी भी समय, परिस्थितियां कैसी भी हों, संघर्ष से कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि महाभारत की कहानी में बहुत कुछ ऐसा देखा गया था कि मुख्य और महत्वपूर्ण पात्र भी दूसरों की बातों से अपने फैसले लेते या बदलते नजर आते थे। इससे एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक सीखा जाता है। यानी अगर हम अपने फैसले खुद नहीं ले पाएंगे और उनके लिए दूसरों पर निर्भर रहेंगे या दूसरों की सलाह का इंतजार करेंगे तो हम अपने भविष्य या हमारे साथ होने वाली किसी भी घटना को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे ।