जहरीली हवा और ठिठुरती ठंड का डबल अटैक: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण चरम पर, मौसम बना चुनौती
मंगलवार को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण और कड़ाके की ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं। नोएडा का एक्यूआइ 400 और ग्रेटर नोएडा का 366 दर्ज किया गय ...और पढ़ें
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नोएडा के भंगेल एलिवेटेड रोड पर छाए कोहरे के बीच जाते वाहन। जागरण
जागरण संवाददाता, नोएडा। मंगलवार को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मौसम और प्रदूषण ने मिलकर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं। एक ओर कड़ाके की ठंड और कोहरे ने दिनचर्या को प्रभावित किया, तो दूसरी ओर हवा की गुणवत्ता देश के सबसे खराब इलाकों में शुमार रही।
नोएडा का एक्यूआई 400 दर्ज किया गया, जबकि ग्रेटर नोएडा का औसत एक्यूआई 366 रहा। देश में सबसे अधिक प्रदूषित हवा दिल्ली और बालासौर में दर्ज की गई, जिनके बाद खराब हवा की श्रेणी में नोएडा दूसरे स्थान पर रहा।
कई सेक्टरों में हालात और भी गंभीर
नोएडा के कई सेक्टरों में हालात और भी गंभीर नजर आए। सेक्टर-1 में एक्यूआई 434 तक पहुंच गया, जो दिल्ली और बालासौर के बाद सबसे खराब श्रेणी में रहा। सेक्टर-125 और सेक्टर-62 दोनों में एक्यूआई 379 दर्ज किया गया, जबकि सेक्टर-116 में यह 398 तक पहुंच गया।
ग्रेटर नोएडा में नालेज पार्क थर्ड में एक्यूआई 340 और नॉलेज पार्क फाइव में 392 दर्ज किया गया। इन आंकड़ों ने साफ कर दिया कि पूरे क्षेत्र में हवा सांस लेने लायक नहीं रही और प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।
मौसम की बात करें तो मंगलवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह के समय घना कोहरा और धुंध छाई रही, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई। दोपहर में हल्की धूप निकलने से कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन यह राहत अस्थायी साबित हुई।
करीब तीन बजे के बाद फिर से ठंडी हवाओं के साथ बादल और कोहरा छाने लगा, जिससे ठंड का असर और बढ़ गया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, एक जनवरी को बारिश के आसार बने हुए हैं। इसके साथ ही पांच जनवरी तक धुंध और कोहरे की स्थिति बने रहने की संभावना जताई गई है।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश से प्रदूषण में कुछ हद तक कमी आ सकती है, लेकिन जब तक हवाओं की रफ्तार नहीं बढ़ती, तब तक हवा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार मुश्किल है। कुल मिलाकर, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लोगों के लिए यह समय सतर्कता बरतने का है। जहरीली हवा और सर्द मौसम का यह मेल बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए खास तौर पर जोखिम भरा साबित हो सकता है।

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