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    वोटर लिस्ट में उर्दू में लिखा नाम और फोटो-मोबाइल नंबर गायब... SIR में बीएलओ के लिए आफत बना इन्हें खोजना

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 05:14 PM (IST)

    नोएडा में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में बीएलओ को उर्दू में दर्ज नामों के कारण मुश्किल हो रही है। कई सेक्टरों में मतदाताओं के नाम उर्दू में होने से सत्यापन धीमा हो गया है। पते और फोन नंबर की कमी के कारण मतदाताओं को ढूंढना मुश्किल है। अधिकारी भाषा परिवर्तन न कराने को इसका कारण बता रहे हैं।

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    स्वाति भाटिया, नोएडा। मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान में इस बार बीएलओ को नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कई सेक्टरों में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिले हैं, जिनके नाम उर्दू में दर्ज हैं। नाम और पते को पढ़ने में आने वाली यह भाषा बाधा घर-घर सत्यापन प्रक्रिया को धीमा कर रही है।

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    नतीजतन न तो संबंधित मतदाता तलाशने पर मिल पा रहे हैं और न ही रिकाॅर्ड का सही मिलान हो पा रहा है। बृहस्पतिवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में यह स्थिति कई सेक्टरों में देखने को मिली। बीएलओ मोबाइल ऐप, फोटो और दस्तावेजों की मदद से नाम समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पते और फोन नंबर की कमी के कारण मतदाताओं को ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा है।

    सेक्टर-70: आधे फार्म भी नहीं हुए पूरे

    सुबह 11:00 बजे सेक्टर-70 के ब्लॉक ए, बी, बीएच और बीएस में 2034 फार्म आवंटित हैं, जबकि ब्लाक बी में कुल 850 घर हैं। यहां अब तक 50 प्रतिशत फार्म ही भरे जा सके हैं। ड्यूटी पर तैनात बीएलओ संजीव कुमार ने बताया कि बड़ी संख्या में फार्म ऐसे हैं, जिनमें नाम उर्दू में दर्ज हैं और पते व फोन नंबर गायब हैं।

    ऐसे में न तो नाम पढ़ पाना आसान है और न ही मतदाता की पहचान करना। यहां सभी ब्लाक में मिलाकर करीब 40 लोग ऐसे हैं, जिनका रिकार्ड भाषा की दिक्कत के चलते नहीं मिल पा रहा है। आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अमित चौहान मौके पर अपनी टीम के साथ मौजूद मिले।

    उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे से टीम लगातार काम कर रही है, काफी ऐसे नाम है जो अलग भाषा में हैं, इनको तलाशने पर भी नहीं मिल रहे हैं।

    सेक्टर-46: 60 प्रतिशत फार्म हुए पूरे, आए उर्दू भाषा में नाम

    दोपहर 12:00 बजे सेक्टर-46 के सी, ए, बी और के ब्लाॅक में 3254 फार्म मिले, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं। बीएलओ ज्योति भट्ट और मीनाक्षी के साथ टीसी गौड़ मतदाताओं की तलाश में घूम रहे थे। उन्होंने बताया कि यहां अधिकांश लोगों को अपना एपिक नंबर तक नहीं पता। यहां भी कुछ फार्म उर्दू भाषा में पाए गए, जिनका सत्यापन कठिन हो गया है। यहां इन सभी ब्लाॅक में मिलाकर ऐसे 20 नाम हैं।

    सेक्टर -48 में दोपहर 12:45 बजे, ए, बी, सी, के और डी ब्लाक में यहां 50 प्रतिशत काम पूरा हो पाया है। बीएलओ ने बताया कि यहां सभी ब्लाॅक में करीब 30 नाम ऐसे अभी तक सामने आए हैं, जिनके नाम उर्दू भाषा में है। नाम के पते पर तलाशने जाते हैं तो कोई घर पर नहीं मिलता। फोन नंबर तक दर्ज नही हैं, ऐसे में मतदाताओं को तलाशना मुश्किल हो रहा हैं।

    सेक्टर-50: बिना नंबर के फार्म बन रहे बाधा

    दोपहर 1:15 बजे सेक्टर-50 के ए, के और सी, डी ब्लाॅक में बीएलओ सुमन ने बताया कि टीम में पांच लोग हैं, मगर समस्या यहां भी वही है—कई नाम उर्दू में लिखे हैं, पता अधूरा है और फोन नंबर मौजूद नहीं है। इस कारण मतदाताओं का पता लगाना लगभग असंभव हो रहा है। करीब 20 नाम तो ऐसे होंगे ही जिनकी समस्या है।

    कैसे आई उर्दू भाषा

    दरअसल वोटर रजिस्ट्रेशन एप पर जाकर आप लाॅगइन करेंगे तो वहां भाषा चयन का ऑप्शन दर्ज करना होता हैं। उसमें हिंदी, बंगाली, गुजरात, मराठी, उर्दू, तमिल, तेलगु कई भाषाओं को चुना जा सकता है। लेकिन ये भाषाएं कुछ ऐसे जिलों के लिए हैं, जहां पर इनका अधिक प्रयोग होता है। मतदाताओं द्वारा इसे चुना जा सकता है।

    ऐसे में लिस्ट में इसी भाषा में नाम छपकर आ रहे हैं, जबकि ऑनलाइन एप पर जाकर नाम इन भाषाओं के साथ अंग्रेजी भाषा में भी आ रहे हैं। इनसे प्रत्येक नाम का मिलान कर बीएलओ नाम का पता लगा सकते हैं।

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    उर्दू भाषा हमारे जिले में नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी पैदाइश कहीं ऐसे जिले की हो, जहां इन भाषा का प्रयोग हो, ऐसे में उनके पते का परिवर्तन तो उन्होंने करवा लिया होगा, लेकिन भाषा में परिवर्तन नहीं करवाया होगा। जिसके चलते ऐसे नाम लिखकर आए होंगे।

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    -अतुल कुमार , एडीएम वित्त एवं राजस्व