नोएडा में डायलिसिस के लिए मरीजों को सरकारी अस्पताल भेजने के फरमान से बढ़ी परेशानी, तीमारदारों का विरोध शुरू
नोएडा के ईएसआईसी अस्पताल में किडनी मरीजों को डायलिसिस के लिए दिल्ली एम्स सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में भेजने के नए फरमान से परेशानी बढ़ गई है। मरीज औ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता,नोएडा। सेक्टर-24 के ईएसआईसी अस्पताल में किडनी के मरीजों को डायलिसिस के लिए दिल्ली एम्स समेत सरकारी अस्पताल में भेजने के फरमान ने परेशानी खड़ी कर दी है। मरीज और उनके तीमारदारों ने आदेश का विरोध शुरू कर दिया है। चिकित्सा अधीक्षक के आदेश को लेकर प्रबंधन के लोग भी बोलने से बच रहे हैं।
ईएसआईसी कार्डधारक और उनके परिवार की खराब किडनी का इलाज प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में चल रहा है। उन्हें डायलिसिस कराने के लिए ईएसआईसी से अनुमति भी दी जाती है। वर्षों से मरीज नियमित रूप से अनुमति लेकर डायलिसिस करा लेते थे लेकिन, चिकित्सा अधीक्षक के नए निर्देश से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
नए निर्देश के मुताबिक, अति विशिष्ट उपचार के लिए मरीज आपातकालीन भर्ती (केवल उन मामलों में जहां गोल्डन आवर के भीतर तत्काल या अतिआवश्यक हस्तक्षेप की आवश्यकता हो) नियमित रुप से योजनाबद्ध डायलिसिस करा रहे मरीजों को दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, वीएमसीसी, आरएमएल, एलएनजेपी अस्पताल में रेफर किसा जाएगा।
यदि ईएसआई में सुविधा नहीं है तो बसईदरापुर, फरीदाबाद में रेफर किया जाएगा। इसमें शर्त दी कि उपर्युक्त विकल्पों के समाप्त होने तक अनुबंधित अस्पतालों में रेफर नहीं किया जाएगा। मरीजों के तीमारदारों ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. करीम से इसका विरोध किया।
शहदरा में रहने वालीं मरीज रामा के बेटे राजू ने बताया कि नोएडा के लोगों को दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में जाकर डायलिसिस कराने में काफी परेशानी होगी। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सभी लोग एकत्रित होकर ईएसआई के मुख्यालय जाकर विरोध करेंगे। उनके मुताबिक, ईएसआईसी के पैनल पर जनपद के कई अस्पताल हैं, जिनमें सैंकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा है।
ईएसआईसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. करीम का कहना है कि जो मरीज डायलिसिस करा रहे हैं। उनका सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से रिव्यू कराना जरूरी है। मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए दिल्ली एम्स और अन्य सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक से समीक्षा करानी होगी।

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