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    DGCA ने एयरोड्रम लाइसेंस से पहले Noida Airport पर शुरू की फ्लाइट टेस्टिंग, ट्रायल में छोटा विमान होगा शामिल

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 10:31 PM (IST)

    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लाइसेंस देने से पहले डीजीसीए सुरक्षा मानकों की जांच कर रहा है। सोमवार को शुरू हुए टेस्ट में नेविगेशन उपकरण खरे उतरे। बुधवार को मिनी एयरक्राफ्ट से टेस्टिंग होगी। एयरपोर्ट अथॉरिटी रनवे का ट्रायल रन कर रहा है और रिपोर्ट डीजीसीए को भेज रहा है। नवंबर-दिसंबर तक व्यावसायिक संचालन शुरू होने की उम्मीद है। रनवे पर कैट एक और तीन उपकरण लगे हैं। आईएलएस पायलटों को सुरक्षित लैंडिंग में मदद करता है।

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    एयरपोर्ट को लाइसेंस देने से पहले नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) करा रहा सुरक्षा मानकों की जांच।

    जागरण संवाददाता, नोएडा। एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप बनकर तैयार हुए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे पर सोमवार से इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) फ्लाइट टेस्टिंग दूसरी बार शुरू हो चुकी है।

    इससे पहले डीजीसीए और एयरपोर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया ने बीते वर्ष नवंबर में भी छोटे विमानों से रडार व नेविगेशन की जांच पड़ताल की थी। सोमवार को दिनभर एजेंसी ने फ्लाइट टेस्ट के दौरान एयरपोर्ट पर सुरक्षा और नेविगेशन सिस्टम की जांच की।

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    एयरपोर्ट के सभी उपकरण एजेंसी के मानकों पर खरे उतरे। एजेंसियां एयरपोर्ट को एयरोड्रोम लाइसेंस देने से पहले तीन दिन तक लगातार टेस्ट करेंगी। बुधवार को विमान की रनवे पर लैंडिंग और टेकआफ कराते हुए रडार और नेविगेशन सिस्टम की पड़ताल की जाएगी।

    एयरपोर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया एयरपोर्ट ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर पर 27 अक्टूबर से रनवे का ट्रायल रन शुरू किया है। प्रतिदिन की जांच रिपोर्ट नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) को भेजी जाएगी। ट्रायल में बुधवार इंडिगो,अकासा या एएआई में से किसी एक के छोटे विमान को शामिल किया जाएगा।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एयरपोर्ट पर निर्माण कार्यों के निरीक्षण के बाद नवंबर के अंतिम या दिसंबर में एयरपोर्ट के व्यावसायिक संचालन की तैयारियों तेज कर दी गई हैं। एयरपोर्ट का रनवे 3900 मीटर लंबा है।

    इस पर कैट एक और कैट तीन उपकरण स्थापित किए गए हैं, जो कोहरे में विमान की ऊंचाई और दृश्यता की जानकारी देते हैं। साथ ही इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) को स्थापित भी किया जा चुका है। सोमवार को हुई जांच में जांच में रडार व नेविगेशन ठीक से काम करते पाए गए थे।

    किसी भी विमान के उड़ान व लैंडिंग में आईएलएस एक आवश्यक सुरक्षा प्रणाली होती है, जो पायलटों को कोहरे, वर्षा या अन्य प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण दृश्यता काफी कम होने पर भी सुरक्षित रूप से उतरने में सक्षम बनाती है।

    एयरपोर्ट का एयरस्पेस और रूट पहले ही हो चुका है तय

    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर का एयर स्पेस दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दस मिनट की दूरी पर 9 दिसंबर को वैलिडेशन फ्लाइट के समय तय किया जा चुका है। एयर स्पेस तय होने से दोनों एयरपोर्ट एक दूसरे के एयर स्पेस पर निर्भर नहीं रहेंगे। दोनों एयरपोर्ट से फ्लाइटस सेवाएं अपने-अपने एयर स्पेस से यात्रा कर सकेंगी।

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