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    हरित नोएडा पर धूल की परत: पेड़ों की सांसों से घट रही ऑक्सीजन, पेड़ों की सफाई के दावों पर उठ रहे सवाल

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:53 PM (IST)

    नोएडा में वायु प्रदूषण के कारण पेड़ों पर धूल की परत जम गई है, जिससे उनकी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता घट रही है। पेड़ों की सफाई के दावों पर सवाल उठ रहे हैं, ...और पढ़ें

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    शहर के पुराने और प्रमुख सेक्टर-34 में सड़क किनारे पेडों पर जमा धूल। जागरण

    प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। हरित नोएडा की छवि धूमिल हो रही है। हर मार्ग पर हरियाली नजर आती है। लेकिन पेड़ और पौधों पर जमा धूल उनके ही नहीं इंसानों की सांसों के लिए संकट बन रही है। पेड़ पर जमा धूल से फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया 30 से 90 फीसदी तक कम होती है। मौजूदा स्थिति की बात की जाए तो पेड़ पर जमा धूल से आक्सीजन का स्तर पांच प्रतिशत कम हो सकता है।

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    इसकी वजह से दो वातावरण में दो फीसदी आक्सीजन की कमी हुई है। शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। करीब 1.5 करोड़ पेड़ और सात करोड़ से अधिक पौधे हैं, जो प्राकृतिक रूप से हवा को शुद्ध करते हैं। लेकिन इन पेड़ पर जमी मोटी धूल की परत ने आक्सीजन उत्पादन में करीब 2 प्रतिशत की कमी कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूल पत्तियों पर जमकर फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया बाधित कर रही है, जिससे न केवल आक्सीजन कम हो रहा बल्कि प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

    नोएडा क्षेत्र में 167 सेक्टर हैं। यह आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्रों में बंटे हैं। इनमें से कई सेक्टरों में हरे-भरे ग्रीन बेल्ट और पार्क हैं। प्रमुख सड़कों पर सबसे अधिक पेड़ है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, एमपी रोड, डीएससी रोड और विकास मार्ग समेत शहर की सभी आंतरिक सड़कों पर पेड़ पौधे लगे हुए हैं। प्राधिकरण ओर से प्रतिदिन 20 हजार से अधिक पेड़ पौधों की सफाई और धुलाई का दावा किया जाता है। लेकिन, शहर की मुख्य सड़क और विभागीय क्षेत्रों से इतर बाहरी सेक्टर और सड़कों पर पेड़-पौधों पर जमा धूल की पानी का छिड़काव कर धुलाई नहीं की जा रही है।

    फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया में धूल बन रही बाधा

    राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की वनस्पति विभाग की विभागाध्यक्ष डा. संघमित्रा ने बताया कि पेड़ प्राकृतिक एयर फिल्टर हैं। पत्तियों पर धूल और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5, पीएम 10) को फंसाकर हवा को साफ करते हैं। लेकिन, जब पत्तियों पर धूल जमा हो जाती है, तो स्टोमेटा (पत्तियों के छोटे छिद्र) बंद हो जाते हैं। इससे हवा छोड़ने और लेने में पेरशानी होती है। फोटोसिंथेसिस कम होती है और पेड़ कम प्रदूषक अवशोषित कर पाते हैं। धूल का सीधा असर पेड़ फोटोसिंथेसिस पर होता है। सूर्य की रोशनी और कार्बन डाइआक्साइड का अवशोषण कम होता है। लंबे समय तक यह स्थिति होने पर पेड़ को भी खतरा है।

    नहीं हुई सामुदायिक पहल

    सेक्टरों और सोसायटी परिसर में हजारों की संख्या में पेड़ लगे हुए हैं। प्राधिकरण की ओर से सामुदायिक पहल और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किए जा रहे प्रयासों के सामुदायिक पहल की अपील नहीं की गई। सेक्टरों और सोसायटी के पेड़ की भी धूल की सफाई नहीं की गई।

    मुख्यमंत्री आगमन और अधिकारियों के दौरे 

    बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सेक्टर-51 में आगमन हुआ तो प्राधिकरण के अधिकांश संसाधन उपयोग पेड़ और सड़कों की सफाई में लगा दिए गए। अधिकारियों का जिस क्षेत्र में निरीक्षण होता है वहां पर साफ सफाई की व्यवस्था सुदृण करने का कार्य किया जाता है। बाहरी सेक्टरों में पेड़ की स्थिति दयनीय है।

    सेक्टर को जोड़ने वाली सड़क पर सैकड़ों पेड़ लगे हैं। कंपनियां भी संचालित होती हैं लेकिन पेड़ की पानी से कभी धुलाई नहीं हुई।

    -भगत सिंह तोंगड़

    सेक्टर-119 में सड़क किनारे लगे पौधों पर धूल जता हैं। पेड़ की पत्तियां मुरझा गईं हैं। वर्षा होगी तभी यह साफ होंगी। प्राधिकरण ने कभी नहीं किया।

    -गाैरव असाती

    सेक्टर-71 में ग्रीन बेल्ट हैं। सड़क किनारे पेड़ हैं। भारी यातायात रहता है। पेड़ की धूल कभी साफ नहीं हुई।

    -एएन वर्मा

    सेवन-एक्स सेक्टरों में पेड़ की ताे दूर सड़कों की सफाई भी भगवान भरोसे छोड दिया है। यहां सबसे अधिक धूल उड़ती है।

    -राजेश यादव

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