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    न्यू हाथरस का मास्टर प्लान तैयार करने के लिए तीन कंपनियां आईं आगे, जल्द खोली जाएगी फाइनेंशियल बिड

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 01:59 AM (IST)

    यमुना प्राधिकरण के न्यू हाथरस मास्टर प्लान 2041 के लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई है। प्राधिकरण जल्द ही वित्तीय बोलियां खोलकर एक कंपनी का चयन करेगा। यह ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। न्यू हाथरस का मास्टर प्लान तैयार करने के लिए तीन कंपनियां आगे आई हैं। प्राधिकरण इन कंपनियों की फाइनेंशियल बिड खोल कर एक का अंतिम रूप से चयन करेगा। चयनित कंपनी को न्यू हाथरस का मास्टर प्लान 2041 तैयार करना होगा।

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    यमुना प्राधिकरण में छह जिले के 1149 गांव अधिसूचित हैं। इन जिलों में गौतमबुद्ध नगर व बुलंदशहर फेज एक में शामिल है। फेज दो में अलीगढ़, मथुरा, हाथरस और आगरा शामिल हैं। अलीगढ़ व मथुरा में शहरी केंद्र के विकास के लिए मास्टर प्लान बना हुआ है।

    आगरा का मास्टर प्लान भी बन चुका है, इसे शासन ने स्वीकृति मिलना शेष है। हाथरस जिले में प्राधिकरण अधिसूचित क्षेत्र का मास्टर प्लान भी तैयार करने के लिए कंपनी चयन की प्रक्रिया चल रही है। प्राधिकरण ने इसके लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे।

    इसमें आरवी इंजीनियरिंग कंसल्टेंट प्रा. लि., एलईए एसोसिएट्स साउथ एशिया प्र. लि. व गुरुड़ा यूएवी साफ्ट साल्यूशन प्रा. लि. शामिल हैं। तीनों कंपनियां तकनीकी बिड में सफल घोषित की गई हैं। प्राधिकरण के एसीईओ शैलेंद्र भाटिया का कहना है कि फाइनेंशियल बिड जल्द खोलकर एक कंपनी का चयन किया जाएगा।

    चार हजार हे. के लिए तैयार होगा मास्टर प्लान

    यमुना प्राधिकरण पहले चरण में हाथरस जिले में चार हजार हेक्टेयर के लिए मास्टर प्लान तैयार कराने जा रहा है। यह क्षेत्र यमुना एक्सप्रेस वे के नजदीक है। चयनित कंपनी को क्षेत्र में औद्योगिक विकास की संभावनाओं एवं रोजगार, जनसंख्या, व शहरी विकास के लिए उसका घनत्व, लोकेशन, लैंड यूज, इंफ्रा फैसेलिटी, जीवन स्तर में सुधार के लिए उच्च स्तरीय शहरी इंफ्रा, मौजूद जलीय संरचनाओं के संरक्षण एवं उनके पुनर्जीवित करने, भविष्य में शहरी विकास के लिए इंफ्रा पर खर्च, क्षेत्र के लोगों पर विकास का सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव, आपदा प्रबंधन प्लान आदि शामिल हैं।

    कृषि आधारित उद्योग के विकास पर होगा फोकस

    प्राधिकरण की योजना न्यू हाथरस में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की है। हाथरस जिले में कृषि उत्पादकों को इसका फायदा होगा। इसके अलावा हाथरस के परंपरागत लघु उद्योग हींग आदि को भी फायदा होगा।