वीआईपी नंबर के शौक का सौदा बन गया सिरदर्द, नोएडा में 1552 लोगों के फंसे 1.43 करोड़; कैसे मिलेगा रिफंड?
गौतमबुद्ध नगर में वीआईपी नंबरों के लिए आवेदन करने वाले 1552 लोगों के 1.43 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। ई-नीलामी में भाग लेने के बाद भी उन्हें नंबर नहीं मिला और विभाग ने अभी तक रिफंड नहीं किया है। लोग परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। विभाग का कहना है कि मामला लखनऊ स्तर पर है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। शहर में की सड़कों पर लग्जरी कारें और उनकी नंबर प्लेट पर सजते आकर्षक नंबर चारों ओर नजर आएंगे। 1552 लोगों के लिए शौक और वीआईपी नंबर का सौदा सिरदर्द बन गया है। इन्होंने वीआईपी नंबर के लिए आवेदन किया। ऑनलाइन पोर्टल पर फीस भी जमा कराई। नंबर तो मिला नहीं लोगों के 1.43 करोड़ रुपये विभाग के पास फंस गए हैं।
विभाग की ओर से आवेदनकर्ताओं का पैसा भी वापस नहीं किया गया है। लोग चक्कर काट रहे हैं। पैसे की वापसी को लेकर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। गौतमबुद्ध नगर के परिवहन विभाग ने 2024 में ई-नीलामी का जाल बिछाया, और शौकीनों की भीड़ उमड़ पड़ी।
आवेदकों ने कितने हजार की लगाई बोली?
आवेदकों के 1.43 करोड़ रुपये विभाग के खजाने में कैद है। वापस का वादा खोखला साबित हो रहा है। इन नंबरों के लिए साधारण नहीं व्यापारी, प्रोफेशनल्स, युवा उद्यमी जिन्होंने अपनी पसंदीदा संख्या के लिए जेबें ढीली कीं। वीआईपी नंबर के लिए आवेदकों ने 50 हजार तक की बोली लगाई, लेकिन नंबर नहीं मिला। अब पैसे लौटाने का इंतजार महीनों से अधर में लटका है।
विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन, बोली, और फिर मामले पर चुप्पी है। एक-एक लाख तक की बोली वाले इन शौकीनों का धैर्य टूट रहा है। पैसे की वापसी के लिए परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं। विभाग सिर्फ उनका प्रर्थना पत्र ले रहा है। पैसा कब तक वापस होगा इस पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। पैसा भी ऑनलाइन जमा होता है। लखनऊ में इसका पूरा रिकार्ड होता है। अगर कोई आता है तो उसकी शिकायत लेकर ईमेल के माध्यम से लखनऊ प्रेषित की जाती है।
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