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    Noida Twin Towers: ब्लॉस्ट से पहले निकाली गई पांच टन लकड़ी, प्रदूषण मुक्त रीसाइक्लिंग बड़ी चुनौती; जानें- पूरी प्रक्रिया

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 31 Aug 2022 07:35 PM (IST)

    Noida Twin Towers ध्वस्त होने के बाद लोगों के मन में सवाल है कि अब पहाड़ जैसे इस मलबे का क्या होगा? इससे क्या-क्या चीजें बनेंगी? कहां होगा रीसाइकल और क्या होगी प्रक्रिया। पढ़े- मलबे से जुड़े हर सवाल का जवाब।

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    Noida Twin Towers: मलबा हटाने में 100 व रीसाइक्लिंग में 40-50 श्रमिक प्रतिदिन करेंगे काम।

    नोएडा, ऑनलाइन डेस्क। Noida Twin Towers: नोएडा के बहुचर्चित सुपरटेक ट्विन टॉवर्स को रविवार (28 अगस्त 2022) को विस्फोट से गिरा दिया गया है। इसके बाद यहां मलबे का पहाड़ बन गया है। विस्फोटक से इमारत गिराने में मात्र 9 से 13 सेकेंड का वक्त लगा, लेकिन इसके मलबे को हटाने और निस्तारित करने की प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल है। सबसे बड़ी चुनौती, मलबे के इस पहाड़ को प्रदूषण मुक्त तरीके से रीसाइकल करना है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च होंगे। जानें- कैसे होगा निस्तारण?

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    100 श्रमिक मलबा हटाने में लगे

    सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने का काम मुंबई की एडिफिस कंपनी (Edifice Engineering) ने, दक्षिण अफ्रीका की एक्सपर्ट कंपनी जेट डिमॉलिशन (South Africa's Jet Demolitions) के सहयोग से किया था। कंपनी के सीईओ उत्कर्ष मेहता ने बताया कि मलबे की रीसाइक्लिंग का काम नोएडा के सेक्टर 80 स्थित रैम्की कंपनी द्वारा किया जाएगा। सेक्टर-93ए से रीसाइक्लिंग प्लांट तक मलबा ले जाने का काम एडिफिस कंपनी करेगी। मलबा हटाने के लिए 100 श्रमिक प्रतिदिन काम करेंगे। साथ ही 6 से 8 डंपर और इतनी ही पोकलेन मशीनें मलबा उठाने के लिए प्रतिदिन काम करेंगी। पूरा मलबा हटाने में तकरीबन 90 दिन का वक्त लगेगा। फिलहाल मलबे की छंटनी का काम चल रहा है। अगले सप्ताह से इसे रीसाइक्लिंग प्लांट में पहुंचाने का काम शुरू होगा।

    वहीं रहेगा 60 फीसद मलबा

    एडिफिस इंजीनियरिंग (Edifice Engineering) कंपनी के पार्टनर जिगर खेड़ा बताते हैं कि सुपरटेक ट्विन टॉवर (सेयान और एपेक्स) को गिराने से सरिया और कंक्रीट का करीब 80 हजार टन मलबा मौके पर एकत्र हुआ है। इसमें से कंक्रीट वाला लगभग 30 हजार टन मलबा ही रैम्की कंपनी द्वारा रीसाइकल किया जाएगा। शेष लगभग 50 हजार टन, लगभग 60 फीसद मलबा मौके पर ही रहेगा। ये मलबा ट्विवन टॉवर के बेसमेट को भरने के काम आएगा। ट्विन टॉवर का बेसमेंट दो मंजिला है, जिसकी गहराई लगभग सात मीटर है।

    टॉवर गिराने से पहले निकाल लिया गया काफी सामान

    जिगर खेड़ा बताते हैं कि ट्विन टॉवर को गिराने से पहले ही उसका काफी सामान निकाल लिया गया था, नहीं तो मलबे का ये पहाड़ और बड़ा हो जाता। ट्विन टॉवर को गिराने से पहले उसमें प्रयोग की गई लगभग 50 टन लकड़ी और कई टन ईंट पहले ही अलग कर दी गई थी। इसे कंपनी अपनी पार्टनर कंपनियों को बेचेगी। इसके अलावा ट्विन टॉवर के मलबे में 3500 टन सरिया भी है, जिसे छांटकर अलग करने का काम चल रहा है। सरिया भी एडिफिस कंपनी, अपनी पार्टनर कंपनियों को बेचेगी।

    रीसाइक्लिंग से बनेंगी तीन लाख टाइल्स

    ट्विन टॉवर का 30 हजार टन मलबा, नोएडा सेक्टर-80 स्थिति रैमकी कंपनी (Ramky Reclamation And Recycling Pvt Ltd) के रीसाइक्लिंग प्लांट में मुकेश धीमान की देखरेख में होगा। मुकेश प्लांट में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिश (C&D) प्रोजेक्ट के हेड हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिन तक लगातार प्रतिदिन 250 से 300 टन मलबा रीसाइकल होगा। करीब 30 फीसद रीसाइकल मलबे से प्रतिदिन 3000 इंटरलॉकिंग टाइल्स बनेंगी। इसका इस्तेमाल फुटपाथ बनाने में होगा। शेष 70 प्रतिशत मलबे से अन्य निर्माण सामग्री जैसे बजरी, गिट्टी, रोड़ी, प्लास्टर व ईं जोड़ने (चुनाई) के लिए चूरा आदि बनेगा। पूरे मलबे को रीसाइकल करने पर लगभग तीन लाख इंटरलॉकिंग टाइल्स और काफी मात्रा में निर्माण सामग्री बनेगी। रीसाइक्लिंग में प्रतिदिन 40 से 50 लोग लगेंगे। रीसाइकल उत्पाद ओपन मार्केट में बेचा जाएगा, जिसे कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था खरीद सकती है।

    प्रदूषण मुक्त रीसाइक्लिंग बड़ी चुनौती

    रैमकी के मुकेश धीमान के अनुसार इस मलबे को प्रदूषण मुक्त तरीके से रीसाइकल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। जरा सी लापरवाही, बड़े प्रदूषण की वजह बन सकती है। इस मलबे को रीसाइकल करने में प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर पानी प्रयोग होग, जो नोएडा प्राधिकरण के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का शोधित जल होगा। सेक्टर-93ए से जो भी डंपर मलबा लेकर आएगा, उसे सबसे पहले पानी से पूरा गीला किया जाएगा। फिर मलबे को अनलोड करते वक्त वॉटर फॉग गन (Water Fog Gun) का प्रयोग किया जाएगा, ताकि उसकी धूल उड़ने से प्रदूषण न हो।

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