Greater Noida Expressway पर गहरी सीवर लाइन बनाएगा प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश जल निगम को काम से हटाया गया
ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर प्राधिकरण 40 करोड़ रुपये खर्च कर गहरी सीवर लाइन की मरम्मत करेगा। उत्तर प्रदेश जल निगम को काम से हटा दिया गया है क्योंकि उन्होंने अधिक समय और धन की मांग की थी। 2002 में जल निगम के साथ अनुबंध हुआ था लेकिन काम अधूरा रहा। प्राधिकरण अब खुद इस परियोजना को पूरा करेगा। दोनों तरफ 20-20 किलोमीटर गहरे सीवर का निर्माण किया जाना था।

जागरण संवाददाता, नोएडा। नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के समानांतर ग्रीन बेल्ट के दाएं और बाएं तरफ चैनेज 10.30 किमी से 20 किमी तक की गहरी सीवर लाइन की मरम्मत और उसे चालू करने का काम नोएडा प्राधिकरण खुद करेगा।
काम को पूरा करने में 40 करोड़ होगा खर्च
यह काम 40 करोड़ रुपये खर्च कर एक साल में पूरा किया जाएगा। जबकि उत्तर प्रदेश जल निगम इस काम को पूरा करने के लिए डेढ़ साल का समय और 63.36 करोड़ रुपये मांग रहा था, जिसे प्राधिकरण ने न करने का फैसला किया।
बता दें कि नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश जल निगम के साथ 9833 लाख रुपये का अनुबंध किया था। बाद में कुल 14058 लाख रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना में नोएडा एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ आठ सीवरेज पंपिंग स्टेशन, दो मास्टर सीवरेज पंपिंग स्टेशन, दोनों तरफ 20-20 किलोमीटर गहरे सीवर का निर्माण किया जाना था।
इस निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश जल निगम को 14009 लाख रुपये का भुगतान किया था। स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष 49.27 लाख रुपये अभी भी बकाया थे।
इन कामों को किया जाना था
अनुबंध के तहत धनराशि का भुगतान करने के बाद अभी तक जल निगम ने इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन 1,2,5,6 और एडवेंट टावर सेक्टर-142 से आगे गहरे सीवर, प्रेशर मेन लाइन की टेस्टिंग और प्राधिकरण को हैंडओवर नहीं किया है।
जबकि अनुबंध के अंतर्गत नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के एलएचएस एवं आरएचएस में बायीं ओर सेक्टर-142 के चार इंटरमीडिएट पम्पिंग स्टेशन एवं एक मास्टर पम्पिंग स्टेशन तथा दायीं ओर सेक्टर-168 के चार आईपीएस एवं एक एमएसपीएस, एसटीपी-168 के साथ सीवरेज निस्तारण एवं ग्रेविटी लाइन से निकलने वाली मेल लाइनों का ट्रीटमेंट भी शामिल था।
इसमें नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित सभी सेक्टरों एवं गांवों से आने वाले सीवरेज का ट्रीटमेंट शामिल था।
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बताया कि जल निगम ने अनुबंध के अनुसार एडवांट टावर से ग्रेटर नोएडा की सीमा तक दोनों तरफ चारों आईपीएस का निर्माण नहीं किया। सिर्फ ग्रेविटी लाइन, राइजिंग लाइन और आरसीसी वेल का निर्माण कराया गया।
इस बीच एक्सप्रेसवे की ग्रेविटी लाइन तीन अंडरपास, नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन और डीएफसीसीआईएल की लाइन बिछ पाती, उससे पहले ही क्षतिग्रस्त हो गई। यह लाइन 2003-04 में बिछाई गई थी जो पूरी तरह से नॉन फंक्शनल है। इस लाइन को पूरा करने के लिए अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने यूपी जल निगम के साथ 2023 में बैठक की।
साथ ही अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने को कहा गया। इस पर जल निगम ने काम पूरा करने के लिए 63.36 करोड़ की मांग की। साथ ही प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 1.5 साल का समय मांगा, जिसके बाद प्राधिकरण ने खुद सर्वे कराया तो सामने आया कि अगर यह काम प्राधिकरण कराए तो महज 40 करोड़ और एक साल में पूरा हो सकता है।
ऐसे में अब अनुबंध की दंड धारा-9 और विवाद समाधान धारा-11 के तहत प्राधिकरण को उत्तर प्रदेश जल निगम को बिना कोई कारण बताए काम से बेदखल करने का पूरा अधिकार होगा। हालांकि इस काम के लिए जल निगम को कोई मुआवजा देय नहीं होगा।
ऐसे में प्राधिकरण जल निगम के साथ 2002 में हुए एमओयू को आंशिक रूप से रद्द कर देगा और यह काम खुद ही कराएगा। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इस इलाके में औद्योगिक, संस्थागत, आवासीय और ग्रामीण आबादी लगातार बढ़ रही है। यहां पहले बिछाई गई सीवरेज लाइन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में निकलने वाला सीवरेज नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे ग्रीन बेल्ट में कई जगहों पर भर जाता है।
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