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    नोएडा से अमेरिकी लोगों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 84 युवक-युवती गिरफ्तार; 20 लाख रुपये जब्त

    By MOHD BilalEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Thu, 24 Aug 2023 12:16 PM (IST)

    पूछताछ में पता चला कि ये लोग अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद होने की बात बता उसे ठीक करवाने के बहाने ठगी करते थे। आरोपित कितने अमेरिकी नागरिकों को शिकार बना चुके हैं। कॉलर खुद को अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटिव बताते थे। एसएसएन नंबर का मतलब सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है। यह अमेरिकी लोगों का पहचान पत्र है।

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    नोएडा से अमेरिकी लोगों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश

    नोएडा, जागरण संवाददाता। सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम पर विदेशी नागरिकों को डरा धमका कर ठगी करने का कॉल सेंटर का फेज-1 कोतवाली पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। कॉल सेंटर से संचालक समेत 84 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया है। मौके से भारी मात्रा में मोबाइल, 150 कंप्यूटर सेट, 20 लाख रुपये जब्त किए गए हैं।

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    पुलिस के मुताबिक आरोपित कॉल सेंटर से सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) के गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देकर पैसे वसूले जा रहे थे। कॉलर खुद को अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटिव बताते थे। एसएसएन नंबर का मतलब सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है। यह अमेरिकी लोगों का पहचान पत्र है। जैसे भारत में आधार नंबर होता है। वैसे ही अमेरिका में एसएसएन नंबर है।

    इस नंबर से अमेरिकी नागरिकों की बैंक डिटेल्स, घर, वाहन नंबर, मोबाइल से लेकर अन्य सभी तरह की पहचान होती है। आरोप है कि कॉल सेंटर के कर्मचारी अमेरिकी नागरिक को डराकर पेमेंट देने की बात कहते थे। इसके लिए आरोपित उनसे प्ले स्टोर कार्ड खरीदने के लिए कहते थे।

    इस कार्ड को खरीदने के बाद इसे स्क्रैच कर 16 डिजिट का नंबर पूछते थे। इसके बाद इस नंबर को चीन, यूएसए व दुबई में बैठे लोगों के पास भेजकर इसे कैश कराते थे और उन्हीं के माध्यम से हवाला के जरिये यह पैसा भारत पहुंचता था। गिरफ्तार लोगों में दो फर्जी कॉल सेंटर के मालिक व बाकी कर्मचारी हैं।

    कर्मचारियों को पता था फर्जी कॉल सेंटर का खेल?

    कर्मचारियों को पता होता है कि फर्जी कॉल सेंटर की आड़ में उनसे ठगी का काम कराया जाता है फिर भी पैसों के लालच में वे नौकरी करते थे। इसलिए उन्हें भी आरोपित बनाया गया है।

    पूछताछ में पता चला कि ये लोग अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद होने की बात बता उसे ठीक करवाने के बहाने ठगी करते थे। आरोपित कितने अमेरिकी नागरिकों को शिकार बना चुके हैं। कॉल सेंटर कब से चल रहे था और कितने रकम की ठगी की है इसका पता लगाने की पुलिस कोशिश कर रही है।

    अमेरिकी लोगों से कैसे होती है ठगी?

    जांच के दौरान पाया गया कि आरोपितों ने अलग-अलग वेबसाइट के जरिए यूएस नागरिकों का डाटा लिया है और वीसी डायलर के माध्यम से यूएस नागरिकों को फोन करते हैं। आरोपित ठगी की राशि को ट्रांसफर करवाने के लिए ईबे, गूगल पे, टारगेट व नाइक के जरिए गिफ्ट कार्ड खरीदवाते थे।

    गिफ्ट कार्ड के कोड को लेकर वह राशि को अपने खाते में जमा करा देते थे। अमेरिकी नागरिकों का डाटा ऑनलाइन अलग-अलग वेबसाइट से खरीदकर अपने सर्वर वीआइसीआइ डायलर पर अपलोड करके तीन से चार हजार लोगों को कॉल कर उन्हें सोशल सिक्योरिटी नंबर ब्लाक करने का भय दिखाते थे। इसके बाद उनसे 200 से 500 डालर मांगते थे।

    मना करने पर नंबर सस्पेंड करने या अरेस्ट वारंट का खौफ दिखाते थे। इसके बाद ग्राहक से टारगेट, ई-बे, नाइक एवं गूगल प्ले के गिफ्ट वाउचर खरीदवाकर वसूली करते थे। फेज-1 कोतवाली पुलिस की 84 लोगों की गिरफ्तारी यह दूसरी सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले दिसंबर 2018 में फेज-3 कोतवाली पुलिस की ओर से गिरफ्तारी की गई थी।