अब नोएडा प्राधिकरण शहरी गांव को मॉडल बनाएगा, तैयारी शुरू; सुधारी जाएगी सीवर और जलापूर्ति व्यवस्था
नोएडा प्राधिकरण अब शहरी गांवों को मॉडल बनाने की तैयारी में है। शहर बसाने में जमीन देने वाले 81 गांवों का विकास होगा। गांवों में सीवर और जलापूर्ति व्यवस्था सुधारी जाएगी। हर गांव में अलग सीवरेज पंपिंग स्टेशन और भूमिगत जलाशय बनेगा। पहले चरण में 15-17 गांव शामिल होंगे क्योंकि उनकी हालत दयनीय है। प्राधिकरण का लक्ष्य है कि नोएडा के गांव भी साफ और सुंदर दिखें।

कुंदन तिवारी, नोएडा। सड़क-गलियों में ओवर फ्लो होता सीवर का गंदा पानी, बजबजाती नाली, जगह जगह फैला पसरा कचरा, हर तरफ सिर्फ गंदगी ही गंदगी। यह पहचान नोएडा के तमाम गांव की बन चुकी है। इस छवि से शहरी गांव को बाहर निकालने की दिशा में नोएडा प्राधिकरण ने काम शुरू कर दिया है।
निर्णय लिया है कि नोएडा शहर को बसाने में जमीन देने वाले 81 गांव को अब माडल रूप में विकसित किया जाएगा। इसकी कार्ययोजना तैयार कर शहरी गांवों में सुनियोजित विकास का खाका खींचा गया है, इस पर जल्द शुरू होने जा रहा है।
प्राधिकरण ने तर्क दिया है कि नोएडा प्रदेश का शो विंडो इसकी पहचान वैश्विक पटल पर बन चुकी है। ऐसे में शहर के गांव भी साफ सुथरे, सुंदर व आकर्षित दिखने चाहिए।
हालांकि प्रतिवर्ष गांव के विकास पर 125 करोड़ रुपये प्राधिकरण खर्च कर रहा है लेकिन यह खर्च नाकाफी साबित हो रहा है। इसलिए चरणबद्ध तरीके से गांवों का विकास किया जाएगा, चूंकि गांव पूरी तरह से विकसित हो चुके है। यहां पर अनियोजित विकास है।
इसलिए यहां पर सीवर लाइन नई बिछाने की जगह प्रत्येक गांव का अपना सीवरेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) होगा। इससे गांव की संकरी गलियों व सड़कों पर सीवर का पानी जमा नहीं होगा। संपवेल के इस्तेमाल से वह बाहर निकलकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक चला जाएगा, चूंकि संकरी हो चुकी गलियों व सड़कों को खोद का अधिक क्षमता की सीवर लाइन को नहीं डाला जा सकता। इसलिए डाली गई सीवर लाइन को ही दुरुस्त कर काम चलाया जाएगा।
इसके अलावा गांव में जल आपूर्ति की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रत्येक गांव का अपना अलग से यूजीआर (भूमिगत जलाशय) होगा। इसे सेक्टरों व सोसायटी से पूरी तरह अलग कर दिया जागएा। इससे गांव के लिए अलग से पानी की आपूर्ति होगी, क्योंकि आने वाले समय में प्राधिकरण सेक्टर व सोसायटी में पानी के मीटर के हिसाब से जल बिल का भुगतान कराने जा रहा है। इसके अलावा सीवरेज पर 25 प्रतिशत शुल्क लिया जएगा। इसलिए यह व्यवस्था अगले से करनी पड़ेगी।
इसके लिए प्रथम चरण में उन 15 से 17 गांव को शामिल किया गया है, क्योंकि इनकी हालत काफी दयनीय है। इसमें हरौला, भंगेल, झुंडपुरा, मोरना, छिजारसी, सोहरखा, सलारपुर, मामूरा, सदरपुर, गढ़ी शहदरा, अट्टा, नया बास, वाजितपुर, छलेरा, मामूरा, सदरपुर, बसई, सोहरखा, सर्फाबाद को शामिल किया गया है।
पायलेट प्रोजेक्ट के तहत डेढ़ दशक पहले हुई थी शुरूआत
करीब 15 वर्ष पहले प्राधिकरण ने गिझोड़, निठारी, बरौला गांव के यूजीआर अलग-अलग बनवाए थे, लेकिन फिर यह परियोजना परवान नहीं चढ़ सकी। गांव और सेक्टर में एक ही यूजीआर से पानी सप्लाई होने लगी। इससे समस्या आने लगी है। गांव की आबादी के बढ़ते दबाव से सीवर लाइन ओवर फ्लो होने लगे है।
इसलिए गांव के लिए अलग यूजीआर और सीवर पंपिंग स्टेशन बनाए जाने की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि यहां पर पानी सप्लाई की लाइन समेत अन्य संसाधन पहले की आबादी के हिसाब से हैं। यही स्थिति सीवर लाइनों की हैं। गांव के रास्ते संकरे हैं। ऐसे में खोदाई कर पूरी की पाइप लाइन या सीवर लाइन बदलवाया जाना भी संभव नहीं है।
प्राधिकरण में जल सीवर की स्थिति
- कुल यूजीआर : 107
- यूजीआर की क्षमता : 1500 से 7500 किलोलीटर
- ओवर हेड टैंक (पानी की टंकी) : 52
- सीवरेज पंपिंग स्टेशन : 28
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट : 08
अभी कई जगहों पर गांव और उससे जुड़े सेक्टर में पानी की सप्लाई एक यूजीआर से होती है। कई बार गांव को कम पानी मिल पाता है, कई बार सेक्टर में पानी की किल्लत हो जाती है। इसी तरह सीवर लाइन ओवर फ्लो की समस्या भी गांव और सेक्टर में पंपिंग स्टेशन पर दबाव के चलते हो रही है। कई गांव में आबादी पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इसलिए इस तरह का निर्णय लिया गया है। - कृष्णा करुणेश, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण
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