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    सितंबर में सिर्फ एक दिन नोएडावासियों को मिली शुद्ध हवा, अब अक्टूबर में बढ़ेगा सांसों पर संकट

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 10:00 AM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में सितंबर में सिर्फ एक दिन हवा शुद्ध रही बाकी दिन प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर रहा। सबसे खराब स्थिति 19 सितंबर को रही जब AQI 220 तक पहुंच गया। अक्टूबर में प्रदूषण और बढ़ने की आशंका है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी-स्मॉग गन से छिड़काव किया जा रहा है लेकिन ये प्रयास नाकाफी हैं।

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    साकीपुर और गुलिस्तानपुर गांव के पास बने रेलवे अंडरपास के पास वाहनों के गुजरने से उड़ती धूल। जागरण्सा

    रंजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। शहरवासियों को पूरे महीने (सितंबर) में सिर्फ एक दिन ही शुद्ध हवा नसीब हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने शहर की हवा की गुणवत्ता अधिकांश दिनों में चिंताजनक बनी रही।

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    पूरे महीने में केवल एक दिन सिर्फ तीन सितंबर को हवा अच्छी श्रेणी में दर्ज की गई। इस दिन एक्यूआइ 42 दर्ज की गई, जबकि छह दिन हवा संतोषजनक (एक्यूआइ 50-100 हल्का ग्रीन जोन) श्रेणी में रही।

    वहीं, 18 दिन हवा मध्यम श्रेणी में और चार दिन खराब श्रेणी (आरेंज जोन) में रही। विशेष रूप से 19 सितंबर को हवा की गुणवत्ता सबसे खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 220 तक पहुंच गया। अधिकांश दिनों में एक्यूआइ 150 से ऊपर रहा।

    अक्टूबर में भी प्रदूषण स्तर में बढ़ने के आसार 

    अक्टूबर में वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआइ में और बढ़ोतरी दर्ज होने की संभावना है। ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही पराली जलाने की घटनाएं, सड़क पर बेधड़क दौड़ते वाहनों और उनसे धुएं के साथ निकलने वाले हानिकारक तत्व और औद्योगिक गतिविधियों के कारण एक्यूआइ में और वृद्धि होने की संभावना है। शहर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

    ग्रेनो प्राधिकरण ने एंटी स्माग गन से शुरू किया पानी का छिड़काव

    प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एंटी स्माग गन से पेड़ पौधों पर पानी का छिड़काव कराना शुरू कर दिया है, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं दिख रहा है।

    निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और वाहन उत्सर्जन को कम करने के लिए ठोस कदमों की कमी देखी गई है। कई स्थानों पर खुले में निर्माण सामग्री पड़ी हुई हैं। तिलपता, सूरजपुर, कासना, दादरी आदि मार्गों पर सड़कों पर धूल उड़ रही हैं, जो प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं।

    बचाव के लिए तलाशना होगा विकल्प

    प्रदूषण से बचाव के लिए हरित क्षेत्रों का विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, और औद्योगिक इकाइयों पर सख्त निगरानी होनी चाहिए। ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि शहरवासियों को स्वच्छ हवा मिल सके।

    राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सक फिजिशियन डा. विकास शर्मा ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रदूषण बढ़ने से खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सांस संबंधी समस्याएं हर साल बढ़ जाती है।

    प्रदूषण के स्तर में सुधार के लिए तमाम प्रयास कराए जा रहे हैं। प्राधिकरण के साथ मिलकर एंटी स्माग गन से छिड़काव कराया जा रहा है। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई के लिए ट्रैफिक व परिवहन विभाग से भी कहा गया है।

    - विकास मिश्रा, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ग्रेटर नोएडा