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    Noida News: ईडी के रडार पर आया नोएडा फार्म हाउस घोटाला, तत्कालीन सीईओ मोहिंदर सिंह की बढ़ेंगी मुश्किलें

    Updated: Fri, 23 May 2025 09:26 PM (IST)

    नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि ईडी ने फार्म हाउस घोटाले की जांच शुरू कर दी है। इस घोटाले में सरकार को 2000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ था। ईडी ने 157 फार्म हाउस की लिस्टिंग कर फाइलें जब्त की हैं।

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    फार्म हाउस घोटाला बिल्डर परियोजना हैसिंडा से जुड़ा।

    जागरण संवाददाता, नोएडा: हैसिंडा परियोजना (लोटस 300) से जुड़े नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ मोहिंदर सिंह की मुसीबत बढ़ने वाली है।

    ईडी ने जांच का दायरा बढ़ाकर बसपा शासन काल में हुए फार्म हाउस घोटाले की फाइल को साथ जोड़ दिया है, जिसमें करीब 2000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान सरकार को हुआ था।

    इसमें आवंटियों को कौड़ियों के भाव में फार्म हाउस भूखंड का आवंटन किया गया। ऐसे करीब 157 फार्म हाउस की लिस्टिंग ईडी ने की है। इसकी फाइलों को भी नोएडा प्राधिकरण से ले लिया गया है।

    ईडी फार्म हाउस घोटाले से जुड़े अधिकारियों से हो सकती है पूछताछ

    हैसिंडा में कार्रवाई से लगता है कि ईडी लोटस-300 और उससे जुड़े किसी भी मामले में अब ढील बरतने के मूड में नहीं है, क्योंकि जिस समय फार्म हाउस घोटाला किया गया, उस समय मोहिंदर सिंह ही नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे।

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    थ्रीसी निदेशक निर्मल सिंह और पूर्व सीईओ का गठजोड़ था। ईडी पहले ही इस मामले में काफी तथ्य सामने ला चुकी है।

    बताया जाता है कि दोनों का पारिवारिक रिश्ता भी है। फिलहाल ईडी अब फार्म हाउस आवंटन घोटाले से जुड़े दस्तावेजों और उससे जुड़े अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।

    योजना लाकर सस्ते दामों पर फार्म हाउस किए थे आवंटित

    बता दें कि यमुना किनारे प्राधिकरण ने योजना लाकर सस्ते दामों पर फार्म हाउस आवंटित किया था। प्राधिकरण ने दो बार 2008 और 2010 में ओपेन एंड स्कीम के तहत फार्महाउस योजना निकाली।

    दोनों बार में 305 आवेदन स्वीकार किए गए। इसमें से 157 आवंटियों को 18 लाख 37 हजार 340 वर्गमीटर भूखंड आवंटन किया गया।

    सीएजी ने अपनी जांच में दिखाया कि वर्ष 2008-09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से भूखंड आवंटित किया गया। जबकि उस समय प्रचलित दर 15 हजार 914 रुपये थी।

    2009-10 में 43 और 2010-11 में 83 भूखंडों का हुआ था आवंटन

    इसी दर से वर्ष 2009-10 में भी 43 भूखंडों का आवंटन किया गया। उस दौरान प्रचलित दर 16 हजार 996 रुपये थी।

    वर्ष 2010-11 में 83 भूखंडों का आंवटन 3500 रुपये के हिसाब से किया गया। जबकि दर 17 हजार 556 रुपये थी। यह घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था।

    अधिकारियों का कहना है कि निर्मल सिंह व उनसे संबंधित कंसोर्टियम से जुड़े प्रत्येक निदेशक की किन परियोजनाओं में हिस्सेदारी है, उसके दस्तावेजों को ईडी ने प्राधिकरण से लिया है, जिसमें ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, संस्थागत, स्पोर्ट्स सिटी तक शामिल है।

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