नोएडा में ई-साइकिल परियोजना लॉन्चिंग के बाद बदल दिया अनुबंध, अधिकारियों की जांच में खुला मामला
नोएडा ट्रैफिक सेल में ई-साइकिल परियोजना में घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि बिना अनुमति के विज्ञापन क्षेत्र बढ़ाया गया और नियमों में बदलाव किए गए। विभाग के मुखिया की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। कंपनी अनुबंध का उल्लंघन कर अवैध विज्ञापन लगा रही थी। प्राधिकरण सीईओ ने जांच शुरू कर दी है और अवैध विज्ञापनों को हटाने के आदेश दिए हैं।

जागरण संवाददाता, नोएडा। प्राधिकरण के नोएडा ट्रैफिक सेल (एनटीसी) में ई-साइकिल परियोजना की जांच में बड़ा घोटाला उजागर हो चुका है, क्योंकि एनटीसी में टर्बन मोबिलिटी एलएलपी अनुबंध (30 सितंबर 2022) के आधार पर परियोजना को 17 अप्रैल 2023 को प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी ने भव्य आयोजन के साथ नोएडा स्थापना दिवस पर सेक्टर-21 ए स्थित नोएडा स्टेडियम में लॉन्च किया, लेकिन लॉन्चिंग के तीन माह बाद (10 जुलाई 2023) को नोएडा ट्रैफिक सेल तत्कालीन उपमहाप्रबंधक एसपी सिंह (वर्तमान में महाप्रबंधक) ने 100 रुपये के स्टांप पेपर पर अपने स्तर से बदल दिया।
विभाग के मुखिया की इस कार्य प्रणाली ने एनटीसी विभाग की पूरी कार्य व्यवस्था पर ही सवालिया निशान दिया है। यह तथ्य देखकर प्राधिकरण शीर्ष अधिकारियों के होश उड़ गए है, क्योंकि कंपनी को लाभ देने के लिए 22 दिसंबर 2022 को एनटसी प्रमुख ने एक पत्र जारी किया है।
इस पत्र में ई साइकिल संचालन में आने वाले खर्च को वहन रखने के लिए डाक स्टेशन पर विज्ञापन करने का अधिकारी 50 वर्ग फिट से 100 वर्ग फिट किया गया है। इसके लिए पत्र में लिखा गया है कि इसका अनुमोदन प्राधिकरण के सक्षम अधिकारी से लिया गया है, यहां पर सवाल यह खड़ा होता है, कि प्राधिकरण में सक्षम अधिकारी सिर्फ सीईओ होता है, लेकिन इस बदलाव का अनुमोदन का दावा एनटीसी प्रमुख ने तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक मानवेंद्र सिंह से अनुमति लेकर पत्र जारी करने के लिए किया है।
बता दें कि इस परियोजना को लेकर वर्ष 2018 से एनटीसी विभाग में कार्य किया जा रहा था। वर्ष 2021 में तत्कालीन उपमहाप्रबंधक एससी मिश्रा ने करीब दो करोड़ रुपये खर्च कर 1860 वर्ग मीटर में इस परियोजना के लिए 62 डाक स्टेशन का निर्माण कराया। इतनी रकम खर्च करने के बाद सौ रुपये स्टांप पेपर पर एक कंपनी को यह जगह मुफ्त में दे देना अपने आप में बड़ा सवाल है।
इसके बाद भी परियोजना आज तक अधूरी है, जबकि लॉन्चिंग को ढ़ाई वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। यह कंपनी की मंशा को उजागर कर रहा है कि उसने किस कार्य के लिए प्राधिकरण से बेशकीमती जमीन को हासिल किया है।
कंपनी मनमानी तरीके से डाक स्टेशनों पर विज्ञापन लगा रही है, किसी भी अनुबंध पहले या बाद कही भी यूनीपोल के जरिये विज्ञापन का अधिकार कंपनी को नहीं दिया गया है, लेकिन कंपनी इसका खुला उल्लंघन किया। इसको संरक्षण एनटीसी महाप्रबंधक एसपी सिंह ने दिया।
अब जब इस प्रकरण पर बवाल शुरू हेो गया। प्राधिकरण सीईओ डा लोकेश एम ने जांच शुरू करा दी तो उन्होंने आनन फानन में विज्ञापन वाले यूनीपोल को हटवाना शुरू किया। हालांकि एसपी सिंह का कहना है कि वह उन्हीं जगहाें पर कार्रवाई करवा रहे है, जहां पर अवैध रूप से विज्ञापन कंपनी ने करवाया है।
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